यह नृत्य राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर का एक जीवंत उदाहरण था, जो अपनी रंगीन वेशभूषा, जोश और उत्साह से भरपूर था।
काची घोड़ी नृत्य में नर्तक अपनी कच्ची घोड़ी पर चढ़कर, धुनों और ताल पर अपने नृत्य कौशल का प्रदर्शन करते हैं। यह नृत्य सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि राजस्थान के वीरता, उत्सव और समाजिक परंपराओं का भी प्रतीक है।
महोत्सव में काची घोड़ी नृत्य ने एक नई ऊर्जा और रंग बिखेरा, जो दर्शकों को राजस्थान की संस्कृति और इतिहास से जोड़ता है। इस नृत्य ने हमें भारतीय लोक कला की विविधता और समृद्धि का अहसास कराया।