मणिपुरी नृत्य मणिपुर की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा है, और इसे विशिष्ट रूप से शांति, सौंदर्य और सशक्त अभिव्यक्ति का प्रतीक माना जाता है। नृत्य के दौरान कलाकार अपनी नर्म और सौम्य मुद्राओं से भगवान कृष्ण और राधा के प्रेम के पहलुओं को जीवंत करते हैं। मणिपुरी नृत्य में “रासलीला” और “लीला” जैसे धार्मिक और आध्यात्मिक विषयों को नृत्य के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जो दर्शकों को एक दिव्य अनुभव प्रदान करते हैं।
मणिपुरी नृत्य की हर एक प्रस्तुति में परंपरागत संगीत और वाद्ययंत्रों जैसे गाँधर्वा वाद्य, पिंगुला और धोलक का उपयोग दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। रंगीन वेशभूषा और नृत्य की जटिल मुद्राएँ न केवल कला के प्रतीक होती हैं, बल्कि मणिपुरी संस्कृति की गहरी जड़ों को भी उजागर करती हैं।
“मणिपुरी नृत्य: आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक परंपरा का अद्भुत संगम”
इस महोत्सव के दौरान मणिपुरी नृत्य ने न केवल एक सांस्कृतिक समागम को जीवंत किया, बल्कि भारतीय नृत्य की विविधता और गहराई को भी दर्शाया।