International Gita Mahotsav

शिल्पकारों के हाथों की करामात दिखा रही है अद्भुत शिल्पकला के नजारे

शिल्पकला ने बदला ब्रह्मसरोवर के पावन तट की फिजा का रंग, विभिन्न राज्यों से आए शिल्पकारों ने दिखाई अपने-अपने राज्यों की शिल्पकला, लोगों को रोजगार देने का अवसर प्रदान कर रहे है शिल्पकार
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में 19 नवंबर से ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर लगे सरस और क्राफ्ट मेले में विभिन्न राज्यों से आए शिल्पकारों के हाथों की करामात अद्भुत शिल्पकला के नजारे पेश कर रही है। शिल्पकारों ने अपने-अपने राज्यों की अनोखी शिल्पकला को दिखाकर पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने का काम किया है। इन शिल्पकारों के हस्त शिल्पकला को देखने के लिए दूर-दराज से लाखों की संख्या में पर्यटक पहुंच रहे है।
ऐसे ही सहारनपुर यूपी से आए शिल्पकार दानिश ने बताया कि वे कुरुक्षेत्र-धर्मक्षेत्र की पावन धरा पर लगे अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में पिछले कई साल से आ रहे है और वे अपने साथ लकड़ी से बने सुंदर-सुंदर फ्लावर पॉट, डायनिंग टेबल, कॉफी टेबल, टी टेबल, बॉक्स स्टूल, शाल स्टूल, कुर्सी रोड आयरन, डे्रसिंग टेबल, ज्वैलरी बाक्स इत्यादि का सामान लेकर आए है। सभी को आकर्षित करने वाला हाथों की अदभुत कारगिरी से बना यह सामान बहुत ही सुंदर और घर की सज्जा-सजावट के लिए है और लोग इस सामान की जमकर खरीददारी कर रहे है। इस सामान को बनाने के लिए वे इस लकड़ी को असम से मंगवाते है और इसके बाद उस लकड़ी को जलाने के बाद उस पर फिनिशिंग का कार्य किया जाता है जो कि अपने आप में हस्तकला की कहानी को ब्यां करता है। इस सामान को बनाने के लिए 2 से 3 आदमी कार्य करते है मशीने सिर्फ लकड़ी को काटने के लिए प्रयोग में लाई जाती है लेकिन हाथों की अदभुत कला से जब इस सामान को आखिरी स्वरूप दिया जाता है तो इसे देखने वाले पर्यटक आश्चर्यचकित हो जाते है। उन्होंने बताया कि इस सामान की कीमत 500 से 50 हजार रुपए तक की है। इस सामान पर पालिश इत्यादि का कार्य भी हस्तशिल्प कला सेे ही किया जाता है। हथौड़ी और छेनी की ऐसी हस्तशिल्प कला ने यहां पर आने वाले सभी पर्यटकों के मन को मोह लिया है।

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