
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2025 में परंपरागत ‘पूँगी’ की सुरमयी तान कलाकार की कला और लगन से महोत्सव में एक अनूठी सांस्कृतिक धड़कन जोड़ देती है। लोक संगीत की यह आत्मा न केवल माहौल को जीवंत बनाती है, बल्कि गीता महोत्सव को और भी मनमोहक और यादगार अनुभव प्रदान करती है।