

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के पावन वातावरण में, स्टॉल नंबर 54 पर पहुंचकर हरियाणा मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन जस्टिस ललित बत्रा ने कहा कि आयोग संविधान में निहित न्याय, समानता और मानव गरिमा की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्पित है। उन्होंने जोर देकर बताया कि राज्य मानवाधिकार आयोग को वही सभी शक्तियां प्राप्त हैं जो राष्ट्रीय आयोग के पास होती हैं, और आवश्यकता पड़ने पर राष्ट्रीय आयोग कई मामलों को राज्य आयोग को भी प्रेषित करता है। स्टॉल पर अधिकारियों, कर्मचारियों और पर्यटकों से बातचीत करते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि आयोग का उद्देश्य ऐसा समाज निर्माण करना है जहाँ हर व्यक्ति के अधिकारों का सम्मान और संरक्षण सुनिश्चित हो। गीता महोत्सव में स्टॉल स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य आम जनता को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है, ताकि कोई भी पीड़ित व्यक्ति बिना हिचकिचाहट आयोग तक पहुँच सके। उन्होंने बताया कि देश में मानवाधिकारों की रक्षा के लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009, बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006, दहेज निषेध अधिनियम 1961 और समान वेतन अधिनियम 1976 जैसे कई महत्वपूर्ण कानून लागू हैं। प्रत्येक पीड़ित व्यक्ति अपनी शिकायत हिंदी या अंग्रेजी में—प्रत्यक्ष रूप से आयोग कार्यालय में, पोस्ट, फैक्स या ईमेल द्वारा—पूरी तरह नि:शुल्क दर्ज करा सकता है।