



अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव–2025 की पावन भूमि पर आज भारतीय लोक-संस्कृति का अद्भुत और मनोहारी वैभव देखने को मिला। पारंपरिक राजस्थानी परिधान, सिर पर सुशोभित कलश, और लयबद्ध ताल के साथ प्रस्तुत इन लोकनर्तकियों के मोहक नृत्य ने पूरे महोत्सव को एक शाही, भव्य और अविस्मरणीय सांस्कृतिक आभा प्रदान की। उनकी हर मुद्रा, हर कदम और घूमते हुए पल्लव का हर लम्हा—भारत की प्राचीन लोक-परंपराओं की दिव्यता, सुंदरता और गौरव को राजसी अंदाज़ में जीवंत कर रहा था। यह नृत्य केवल एक प्रस्तुति नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपरा और आत्मिक गरिमा का एक भव्य उत्सव था, जिसने दर्शकों के मन में संस्कृति के प्रति नया सम्मान और गर्व भर दिया।