International Gita Mahotsav

 

INTERNATIONAL GITA MAHOTSAV

Kurukshetra, Haryana (15 November to 5 December 2025)

“निष्काम कर्म और समत्व-बुद्धि बनाती है कर्मयोगी” — प्रो. मिश्र

कुरुक्षेत्र, 4 दिसंबर। अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2025 के अंतर्गत हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी द्वारा स्थापित गीता पुस्तक मेले के साहित्य मंच पर आज ‘गीता में कर्मयोग एवं तत्त्वबोध’ विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई। इस ज्ञानवर्धक सत्र में विद्वानों ने गीता के कर्मयोग और तत्त्वबोध की गहन दार्शनिक व्याख्या की। मुख्य वक्ता कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर राजेश्वर कुमार मिश्र ने कहा कि कर्मयोग जीवन का अनुशासन है और “निष्काम कर्म व समत्व-बुद्धि ही मनुष्य को सच्चे अर्थों में कर्मयोगी बनाती है।” उन्होंने तत्त्वबोध की व्याख्या करते हुए बताया कि गीता आत्मबोध, विवेक और आंतरिक संतुलन का आधार प्रदान करती है, जो आधुनिक जीवन की चुनौतियों से निपटने में सहायक है। संगोष्ठी में डॉ. श्रीकृष्ण शर्मा, डॉ. आर.के. देशवाल और डॉ. हरि प्रकाश शर्मा ने भी अपने विचार साझा किए। हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के संस्कृत प्रकोष्ठ के निदेशक डॉ. चितरंजन दयाल सिंह कौशल ने तत्त्वबोध को गीता का वह अध्यात्म-आधारित पक्ष बताया, जो मनुष्य को आत्मबल, धैर्य और जीवन-संतुलन का बोध कराता है। शोधार्थियों, विद्यार्थियों और साहित्य-प्रेमियों की बड़ी संख्या में सहभागिता ने संगोष्ठी को प्रेरक, ज्ञानवर्धक और चिंतनशील बनाया। यह बौद्धिक सत्र गीता पुस्तक मेले में उपस्थित सभी दर्शकों के लिए जीवन-निर्देशन का महत्वपूर्ण अनुभव साबित हुआ।

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