जम्मू और कश्मीर के लोकगीत और संगीत भी इस महोत्सव का एक महत्वपूर्ण आकर्षण होंगे। इन लोकगीतों और संगीत में कश्मीर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतिबिंब दिखाई देता है।
जम्मू और कश्मीर के लोक नृत्य और संस्कृति ने अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में लोगों को खूब लुभाया। महोत्सव में जम्मू और कश्मीर के विभिन्न लोक नृत्य प्रस्तुत किए गए, जिनमें कश्मीरी रास, गरबा, लंगडा, चौड़ी और डुमाली शामिल हैं। इन नृत्यों में कश्मीर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं का प्रतिबिंब दिखाई देता है।