International Gita Mahotsav

 

INTERNATIONAL GITA MAHOTSAV

Kurukshetra, Haryana (15 November to 5 December 2025)

गंगा-जमुना की तहजीब का को भीतर समेटे दो धर्मों को आपस में जोड़ रही है बनारसी साड़ी

बनारसी साड़ी बनाने वाले मुस्लिम कारीगर अपने हुनर के बहाने समझ रहे है हिंदू रीति-रिवाज, बड़ी अजब-गजब दास्तानें हैं बनारसी साड़ी की, तीन साल में तैयार हुई साड़ी, कारीगर एक पल हो बैठा पागल, एक साड़ी को हाथ से तैयार करने में 15 लोगों को लगता है डेढ़ माह का समय

शिल्पकार खुरशीद ने बड़े उत्साह के साथ बातचीत करते हुए कहा कि हाथ से बनी बनारसी साड़ी हर किसी के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाती है। लेकिन कभी सोचा है कि इसमें ऐसा क्या है कि इस साड़ी को हाथ से बनाने में 15 लोगों को डेढ महीने तक का समय लग जाता है। इसमें गंगा-जमुना की तहजीब होती है, जो दो धर्मों को आपसे में जोड़ती है। बनारसी साड़ी बनाने की पूरी कहानी समझने मे तो कम से कम दो महीने का समय लग जाएगा, लेकिन यह समझ लो कि इस साड़ी को बनाने के लिए धागा हिन्दू व्यापारियों के यहां से आता है। उसके बाद फिर ताना व बाना मुस्लिम कारीगरों के यहां तैयार होकर सिल्क बनता है। फिर वह रगांई के काम के लिए आगें दोबारा हिंदू या मुस्लिम कामगर के पास जाता है। जरी के काम भी हिन्दू-मुस्लिम दोनों कामगार मिलकर करते है, फिर तैयार होकर ज्यादातर हिन्दू व्यापारियों के पास दुकानों पर पहुंचता है। इस प्रकार कि जटिल प्रक्रिया के बाद बनारसी साड़ी उनके चाहवानों के पास पहुंचती है।

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