International Gita Mahotsav

INTERNATIONAL GITA MAHOTSAV

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खादी ग्रामोद्योग ग्रामीणों को बना रहा उद्यमी

अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में हर खादी के स्वदेशी उत्पाद पर्यटकों को आ रहे पसंद, ग्रामीण क्षेत्र में अनुसूचित वर्ग और महिलाओं को स्वरोजगार पर 35 फीसद की सबसिडी
हरियाणा खादी व ग्रामोद्योग बोर्ड ग्रामीणों को उद्यमी बना रहा है। ग्रामीण न केवल स्वरोजगार से जुड़ रहे हैं बल्कि महिलाएं घर का चूल्हा-चौका संभालने के साथ आजीविका चला रही हैं। अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव पर्यटक स्वदेशी उत्पादों को खासा पसंद कर रहे हैं।
ग्रामोद्योग लगाने के लिए बोर्ड की ओर से 5 लाख से लेकर 50 लाख रुपये तक का लोन दे रहा है, जो ग्रामीणों के रोजगार में काफी मददगार साबित हो रहा है।
हरियाणा खादी व ग्रामोद्योग बोर्ड के जिला अधिकारी प्रमोद कुमार ने बताया कि बोर्ड की ओर से महिला उद्यमियों के लिए 35 फीसदी, पुरुष उद्यमियों के लिए 25 फीसदी तथा आरक्षित श्रेणी के महिला व पुरुष उद्यमियों के लिए भी 35 फीसदी सब्सिडी का प्रावधान खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड की ओर से किया गया है। अब तक प्रदेश में 1800 से ज्यादा ग्रामोद्योग स्थापित किए जा चुके हैं। इन ग्रामोद्योग के जरिये तकरीबन 15 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है। खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा तैयार उत्पाद साबुन, मेहंदी, अचार, मुरब्बा, सर्फ, एलोवेरा, शैंपू, कलर, तेल और धूपबत्ती समेत कई वस्तुएं बिक्री के लिए उपलब्ध कराई गई हैं। उन्होंने बताया कि रजाई, बेड शीट, शहद और खादी के बैग की विशेष डिमांड रहती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वोकल इंडिया का नारा देने के बाद ग्रामोद्योग इकाइयों का उत्साह और उनमें उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है। इससे रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं तथा स्वदेशी के मूल मंत्र को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
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ग्रामोद्योग के जरिये ग्रामीणों को मिल रहा है रोजगार
हरियाणा खादी व ग्रामोद्योग बोर्ड से हर खादी के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामोद्योग स्थापित किए जा रहे हैं। इनमें खादी ग्रामोद्योग नरड़ में वर्ष 2022-23 में 7 करोड़ का उत्पादन हो चुका है और तकरीबन 1136 लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इसके साथ ही कमल हर्बल रिवाल ग्रामोद्योग की ओर से भी तकरीबन 2.50 करोड़ के हर्बल प्रोडक्ट का उत्पादन किया जा चुका है, इसके साथ 26 लोग जुड़े हुए हैं। हरियाणा खादी ग्रामोद्योग अंबाला सिटी की इकाई भी 1.25 करोड़ के हर्बल उत्पाद बना चुकी हैं, इसके साथ ही करनाल में मधुमक्खी पालन, अगरबत्ती निर्माण, फतेहाबाद में शहद में निर्माण, यमुनानगर में हर्बल उत्पादन और जींद में महिला खादी निकेतन सहित कई अन्य ग्रामोद्योग हैं, जिनके जरिये ग्रामीणों की आजीविका चल रही है।

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