रस्सी की बनी गुडिय़ा तो किसी को कागज से बनी बाइक पसंद आई। अंतराष्ट्रीय गीता महोत्सव में बाल देखरेख संस्थानों में आश्रित बच्चों द्वारा बनायीं कलाकृतियों के देख कर पर्यटक निहारते और सराहते है। बच्चों ने बेकार पड़े समान से ऐसी आकृतियां बना डाली है जिसे हर कोई करीब से देख कर निहारता है। आम तौर पर चाय पानी में प्रयोग होने वाले डिस्पोजबल कप प्रयोग होने पर कचरे में जाते है, पर बच्चों ने इसे जोड़ कर झूमर का रूप दे दिया है, जिसमे बिजली से रंग बिरंगी लाइटें जलती है, जो शाम के समय स्टाल को जगमगा देता है। आइसक्रीम स्टिक्स का प्रयोग कर बच्चों ने पेन स्टैंड, झाड़ू की तीलियों से फुल दान में रखे जाने वाली स्टिक बनाई है। महोत्सव में आने वाले पर्यटक महिला एवं बाल विकास विभाग की पहल की सराहना कर रहे है। प्रदर्शनी में पहुंचे रहे पर्यटक के साथ आये बच्चे कागज से बनी बाइक को हाथ में लेकर देख बिना नहीं रह पाते है। बच्चे बाइक के साथ अपनी तस्वीर को अपने मोबाइल कैद कर खुश होते है रंग बिरंगी पेंटिंग्स और डोरियों से बनी वाल हैंगिंग भी पर्यटकों की पसंद बने हुए है। मौके पर मौजूद लीगल अधिकारी रंजन शर्मा, गुरप्रीत सिंह, रिचा शर्मा, नेहा, ज्योति, नीलम, प्रदीप, पूनम ने बताया कि पर्यटकों का अच्छा रुझान देखने को मिल रहा है।