










गीता महोत्सव के भव्य सांस्कृतिक मंच पर कलाकारों ने अपनी अद्भुत प्रस्तुति से ऐसा मनमोहक वातावरण रचा कि दर्शक मंत्रमुग्ध होकर देखते ही रह गए। पारंपरिक परिधानों की चमक, भावपूर्ण मुद्राएँ, लयबद्ध ताल और मंच पर बिखरी भारतीय संस्कृति की सुगंध—सबने मिलकर पूरे माहौल को दिव्यता से भर दिया। शक्ति, करुणा, भक्ति और लोक-सौंदर्य के रंग इन प्रस्तुतियों में सहज रूप से झलकते रहे। इसी बीच, श्रीकृष्ण और द्रौपदी के महाभारत प्रसंग का भावपूर्ण मंचन दर्शकों के मन में सीधा उतर गया। कलाकारों की अभिव्यक्ति, संवाद और भावनाओं की गहराई ने इस पवित्र प्रसंग को जीवंत कर दिया, जिससे पूरा पंडाल श्रद्धा और भाव-विभोर वातावरण से सराबोर हो उठा। गीता महोत्सव का यह सांस्कृतिक अध्याय वास्तव में परंपरा, कला और अध्यात्म का अद्वितीय संगम बनकर सभी के मन में अमिट छाप छोड़ गया।