International Gita Mahotsav

वेस्ट लकड़ी से पोट बनाकर कारविंग की शिल्पकला से मिला राष्ट्र में सम्मान

अनोखी शिल्पकला ब्यां कर रही है शिल्पकारों की मेहनत का सार, सहारनपुर के शिल्पकार मोहम्मद इमरान को वर्ष 2007 में मिला राष्ट्रीय अवार्ड
कुरुक्षेत्र 14 दिसंबर अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में ब्रह्मसरोवर के पावन घाटों पर अलग-अलग राज्यों सें पहुंचे शिल्पकारों की शिल्पकला पर्यटकों के मन को मोह लिया है। अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर 24 दिसंबर तक लगने वाले इस सरस और क्राफ्ट मेले में शिल्पकारों की अनोखी शिल्पकला की मेहनत के सार को खुद में ही ब्यां कर रही है। इतना ही नहीं इस सरस और क्राफ्ट मेले में विभिन्न राज्यों से आए शिल्पकारों ने अपनी हस्त शिल्पकला को अद्भुत तरीके से सजाने का काम किया गया है। अहम पहलू यह है कि वेस्ट लकड़ी से पोट बनाकर और कारविंग की शिल्पकला को पूरे राष्ट्र में पंसद किया गया। इस शिल्पकला से प्रभावित होकर वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार की तरफ से वर्ष 2007 में राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर सहारनपुर यूपी से आए मोहम्मद इमरान ने महोत्सव में दक्षिण दिशा की तरफ स्टॉल नंबर 471 पर अपनी शिल्पकला को रखा है। उन्होंने बातचीत करते हुए बताया कि वे अपने साथ लकड़ी का बना साज्जो-सजावट का सामान लेकर आए है। वे यह सारा सामान नीम, शीशम व टीक की लकड़ी से बनाते है तथा इसको बनाने में कम से कम 2 से 4 दिन का समय लगता है तथा इस कार्य के लिए उनके पास 50 कारीगर कार्य करते है जो कि अपनी हस्त शिल्पकला का प्रदर्शन अन्य राज्यों में भी करते है। वे इस अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में हर वर्ष आते है तथा इस बार वे अपने साथ झूला, कॉफी सेट, टी सेट, रॉकिंग चेयर, रेस्ट चेयर, फ्लावर पोर्ट, कार्नर व स्टूल लेकर आए है। उन्होंने इनकी कीमत 1 हजार से 20 हजार तक रखी है।
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव पर इस अदभुत शिल्पकला ने एक अनोखी छाप छोड़ी है, महोत्सव में दूर दराज से आए शिल्पकारों की अनोखी शिल्पकला से ब्रह्मसरोवर का पावन तट सज चुका है। वर्ष 2022 के अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में पर्यटकों ने लाखों रुपए का समान खरीदा था। इस बार भी अच्छा रुझान देखने को मिल रहा है। शिल्पकारों की हस्त की शिल्पकला को देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ से यह उत्साह देखने को मिल रहा है तथा इन शिल्पकारों की शिल्पकला से बनी अनोखी वस्तुओं को पर्यटक जमकर खरीददारी कर रहे है। उनके इस कार्य में आसिफ भी अपना योगदान दे रहे है।

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