कुरुक्षेत्र 11 दिसंबर अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव लुप्त हो चुकी अनूठी शिल्पकला को उजागर करने का एक अच्छा मंच दे रही है। दूसरे राज्यों से आए हस्त शिल्पकार ब्रह्मïसरोवर के पावन तट पर अपने राज्यों की लुप्त हो चुकी अनूठी हस्त शिल्पकला को दिखा रहे है। हाथों की अनूठी बारिकीयों की हस्त शिल्पकला अपना रंग दिखा रही है और पर्यटक इस तरह की शिल्पकला को देखकर हैरान हो रहे है।
महोत्सव में ऐसी ही एक अनूठी हाथों की कारागिरी को लेकर राजस्थान बाडमौर से पहुंचे है हमलोकचंद। उन्होंने कहा कि वे राजस्थान के बाडमौर से आए है तथा वे अपने साथ हाथों से सुई और धागे से बनी सुंदर-सुंदर डैकोरेशन का सामान, डाईनिंग टेबल आदि सामान लेकर आए है। केडीबी प्रशासन की तरफ से उनको स्टॉल नंबर 707 भी अलॉट किया गया है। उन्होंने बताया कि यह सुंदर-सुंदर सामान वे सूई और धागे से बनाते है तथा एक सुंदर वाल डैकोरेशन को बनाने में कम से 10 माह का समय लग जाता है। इसके साथ-साथ वह अपने राज्यों के लोगों को भी रोजगार के अवसर प्रदान कर रहे है। इस काम में कम से कम 500 महिलाएं काम करती है। घर के इस सज्जा सजावट की समान की कीमत 500 से लेकर 15000 तक है।