International Gita Mahotsav

पवित्र ग्रंथ गीता मानव को कर्मयोगी बनाने का दुनिया का एकमात्र ग्रंथ

केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के तीन दिवसीय गीता सेमिनार के समापन समारोह का किया शुभारम्भ, श्रीमद भगवत गीता के परिप्रेक्ष्य में विश्व शांति एवं सद्भावना विषय पर आयोजित सेमिनार में 515 लघु शोध पत्र किये शामिल, केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानन्द, यूके की चंडीगढ़ में डिप्टी हाई कमीश्नर कारोलिन रोबेटे, सांसद नायब सिंह सैनी, विधायक सुभाष सुधा, कुलपति डा0 सोमनाथ सचदेवा ने किया सेमिनार की तीन दिवसीय स्मारिका का विमोचन
कुरुक्षेत्र 1 दिसंबर केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भारत सरकार भूपेन्द्र यादव ने कहा कि पवित्र ग्रंथ गीता मानव को कर्मयोगी बनाने का एकमात्र ग्रंथ है। इस ग्रंथ से मानव को ज्ञान मिलता है और जीवन को सफल बनाने के लिये जीवन का सार भी मिलता है। इस ग्रंथ में हर वर्ग के लिये आगे बढऩे का मार्ग भी दिखाया गया है। इसलिये जो मनुष्य इस ग्रंथ को अपने जीवन में धारण करेगा, वह निश्चित ही अपने मुकाम को हासिल करेगा।
केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव वीरवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सीनेट हाल में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय व केडीबी के तत्वाधान में श्रीमद्भागवत गीता के परिप्रेक्ष्य में विश्व शांति एवं सदभाव विषय पर आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय गीता सेमिनार के अवसर पर बोल रहे थे। इससे पहले केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानन्द, यूके की चंडीगढ़ में डिप्टी हाई कमिश्नर कारोलिन रोबेटे, यूएसए यूनिवर्सिटी ऑफ बफैलो के वाईस प्रेजिडेंट प्रो0 गोविन्द राजू, सांसद नायब सिंह सैनी, विधायक सुभाष सुधा, कुलपति डा0 सोमनाथ सचदेवा, कुलसचिव डा0 संजीव शर्मा, केडीबी के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा, हरियाणा योग आयोग के चेयरमैन डा. जयदीप आर्य, प्रोफेसर मंजुला चौधरी ने दीप प्रज्जवलित करके विधिवत रूप से कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। इस दौरान केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव ने तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार को लेकर तैयार की गई स्मारिका का विमोचन भी किया। इस तीन दिवसीय सेमिनार में 569 शोधार्थियों ने पंजीकरण करवाया और 515 लघु शोध पत्र प्रस्तुत किये गये।
केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव ने अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के पावन अवसर पर गीता सेमिनार जैसे कार्यक्रमों का आयोजन करने पर राज्य सरकार, प्रशासन और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कुरुक्षेत्र की पहचान अंतर्राष्ट्रीय पटल पर बन चुकी है। यह पहचान 5159 वर्ष पूर्व से है। इस पावन धरा पर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन का मोह भंग करने और कर्म करने का संदेश देने के लिये उपदेश दिये थे। यह उपदेश आज भी पूरी मानवता के लिये पूर्णत: प्रासंागिक हैं। इसलिये इन उपदेशों की कशिश मानव को धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र की तरफ खींच कर ले आती है। उन्होंने कहा कि पवित्र ग्रंथ गीता में डॉक्टरों, वकीलों, राजनेताओं व अन्य लोगों के लिये बहुत उपयोगी है। इस ग्रंथ में पूरी मानव जाति की समस्याओं का समाधान निहित है। इस ग्रंथ में पूरे जीवन का एक प्रबन्धन है। इस प्रबन्धन में इंटरनल और एक्सटरनल प्रबन्धन शामिल है। जो व्यक्ति गीता के उपदेशों का अनुसरण करेगा, वह निश्चित ही इन दोनो प्रबन्धों में सफल रहेगा और इस सफलता से ही मानव का जीवन सफल हो जाएगा। यह ग्रंथ मनुष्य को नैतिकता और कर्तव्य करने का मार्ग दिखाता है और इसी ग्रंथ में धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र की धरा पर कर्म करने का संदेश दिया और जो मानव इन उपदेशों को अपने जीवन में धारण करेगा, वह निश्चित ही कर्मयोगी बन जाएगा।
गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव 2022 का आगाज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 29 नवम्बर को किया। इस महोत्सव को लेकर पिछले 5-6 सालों से लगातार कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की तरफ से अंतरराष्ट्रीय गीता सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रकार के सेमिनारों से पवित्र ग्रंथ गीता के उपदेशों पर चर्चा करने और नये शोध करने की भावना पैदा होती है। आज से 5159 वर्ष पूर्व कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के उपदेश दिये जो आज भी पूरी तरह प्रासांगिक हैं। यह दिव्य ग्रंथ दुनिया का एकमात्र ऐसा ग्रंथ है, जिस ग्रंथ में संशोधन अथवा परिवर्तन करने की कभी आवश्यकता नही पड़ी। इस ग्रंथ में हर चुनौती से निपटने का बल मिलता है। इस ग्रंथ में व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने और हर क्षेत्र की समस्या का समाधान करने के उपाय भी मिलते हैं।

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