

मेले की भीड़ में यह शख़्स छोटे-छोटे बुलबुले बनाकर राहगीरों के चेहरों पर मुस्कान बिखेरता है। हर बुलबुले में थोड़ी सी खुशी, थोड़ी सी उम्मीद और बहुत सारा जीवन छिपा है। गीता महोत्सव का यही सौंदर्य है—यह केवल आध्यात्म, कला और संस्कृति का उत्सव नहीं, बल्कि उन आम लोगों का भी उत्सव है जो अपनी सादगी और मेहनत से इस माहौल को जीवंत बनाते हैं। गीता का संदेश भी यही कहता है—“कर्म करते रहो… प्रमोद अपने आप जीवन में घुल जाएगा। आज का यह दृश्य हमें सिखाता है कि कभी-कभी छोटी-सी चीज़ भी दिल को बड़ी खुशी दे जाती है।