फल्गु नामक यह तीर्थ करनाल से लगभग 40 कि.मी. दूर फफड़ाना ग्राम में स्थित है। इस तीर्थ का उल्लेख वायु पुराण और अग्नि पुराण में है।
वायु पुराण में इस तीर्थ का महात्म्य इस प्रकार वर्णित है:
फल्गुतीर्थ व्रजेत्तस्मात्सर्वतीर्थोंत्तमोत्तमम्।
मुक्तिर्भवति कर्तृणां पितृणां श्राद्धतः सदा।।
ब्रह्मणा प्रार्थितो विष्णुः फल्गुको हय्भवत्पुरा।
दक्षिणाग्नौ हुतं तत्र तद्रजः फल्गुतीर्थकम्।
(वायु पुराण, 111/13-15)
अर्थात् तदनन्तर सभी तीर्थों में श्रेष्ठ फल्गु तीर्थ की यात्रा करनी चाहिए, वहाँ पर श्राद्ध करने वालों की एवं उनके पितरों की सर्वदा मुक्ति होती है। वहाँ पर ब्रह्मा की प्रार्थना पर प्राचीन काल में भगवान विष्णु स्वयं फल्गु रूप में प्रतिष्ठित हुए थे। वायुपुराण में उल्लेख है कि फल्गु तीर्थ मंे स्नान, दान और श्रद्धा पूर्वक तर्पण करने वाला श्रद्धालु अपने पूर्व की दस और भावी दस पीढ़ियों का भी उद्धार करता है।
फल्गुतीर्थे नरः स्नात्वा दृष्ट्वा देवं गदाधरम्।
आत्मानं तारयेत्सद्यो दश पूर्वान्दशापरान्।।
(वायु पुराण, 111/20)
इस तीर्थ के महात्म्य के विषय में कहा गया है कि जो व्यक्ति एक लाख अश्वमेध यज्ञ करता है वह भी इतना फल प्राप्त नहीं करता है जितना फल्गु में स्नान करने वाला पाता है। वायु पुराण में कहा गया है कि फल्गु तीर्थ में स्नान कर आदि गदाधर देव का दर्शन करने पर मनुष्य को उत्तम फल प्राप्त होता है। इस तीर्थ में जो व्यक्ति आदि गदाधर देव को श्रद्धापूर्वक मंत्र से नमस्कार कर पंचामृत से उन्हें स्नान करा कर सुन्दर पुष्प एंव वस्त्रादि से अलंकृत कर उनकी पूजा करता है उसकी सारी श्राद्ध क्रिया सफल होती है। इस तीर्थ पर सूर्य ग्रहण के अवसर पर स्नान की प्राचीन परम्परा है तथा सोमवती अमावस्या को यहाँ विशाल मेला लगता है।