कौशिकी नामक यह तीर्थ करनाल से लगभग 29 कि.मी. दूर कोयर ग्राम में स्थित है। यह तीर्थ कुरुक्षेत्र भूमि की नौ नदियों मे से एक कौशिकी नदी के तट पर स्थित होने के कारण कौशिकी तीर्थ के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
वामन पुराण मे कौशिकी नदी को पाप नाशिनी कहा गया है
सरस्वती नदी पुण्या तथा वैतरणी नदी।
आपगा च महापुण्या गंगामंदाकिनी नदी।
मधुस्रवा वासुनदी कौशिकी पापनाशिनी।
दृषद्वती महापुण्या तथा हिरण्यवती नदी।
वर्षाकालवहाः सर्वा वर्जयित्वा सरस्वतीम्।
(वामनपुराण 34/6-8)
लगभग 15 एकड़ में विस्तृत इस तीर्थ सरोवर में स्त्रियों और पुरुषों के स्नान के लिए अलग अलग घाट बने हुए है। सरोवर के घाटों पर बुर्जियों के ऊपर अलंकृत छतरियाँ बनी हुई है। तीर्थ स्थित मन्दिर के गर्भगृह की दीवारों पर कालियदमन, मत्स्यावतार, सूर्यरथ, आदि अनेक भित्ति चित्र हैं।