Apaga Tirth, Gadli

Apaga Tirth, Gadli

आपगा नामक यह तीर्थ कैथल से लगभग 8 कि.मी. दूर गादली ग्राम में स्थित है। प्राचीन काल में यह तीर्थ सरस्वती की सहायक आपगा नदी पर स्थित था। महाभारत तथा वामन पुराण दोनों में ही ‘आपगा’ नाम से वर्णित यह पवित्र नदी निःसन्देह ऋग्वैदिक काल की आपगा नदी ही है। ऋग्वेद में इसका वर्णन उपलब्ध होने से इसकी प्राचीनता स्वयंमेव सिद्ध हो जाती है । महाभारत एवं वामन पुराण में इसे मानुष तीर्थ के पूर्व में कोश मात्र की दूरी पर स्थित कहा गया है।
मानुषस्य तु पूर्वेण क्रोशमात्रे महीपते।
आपगा नाम विख्याता नदी सिद्धनिसेविताः।
(महाभारत वन पर्व 83/67/68)
महाभारत मंे इस तीर्थ के धार्मिक महत्त्व के विषय में यह उल्लेख है कि इस तीर्थ में जो व्यक्ति एक ब्राह्मण को भोजन करवाता है वह करोड़ों ब्राह्मणों को भोजन करवाने के समान है। इस तीर्थ में स्नान कर देवताओं एंव पितरों की पूजा अर्चना कर यहाँ एक रात निवास करने से मनुष्य को अग्निष्टोम यज्ञ का फल प्राप्त होता है। जो व्यक्ति यहांँ देवताओं एवं पितरों को उद्दिश्य करके श्यामक का भोजन करवाते हैं वे महान पुण्य के भागी बनते हैं।
ये तु श्राद्धं करिष्यन्ति प्राप्य तामपगां नदीम्।
ते सर्वकामसंयुक्ता भविष्यन्ति न संशयं:।
शंसन्ति सर्वे पितरः स्मरन्ति च पितामहाः।
अस्माकं च कुले पुत्र पौत्रो वापि भविष्यति।
य आपगां नदीं गत्वा तिलैः संतर्पयिष्यति।
तेन तृप्ता भविष्यामो यावत्कल्पशतं गतम्।
(वामन पुराण 36/3-5)
अर्थात् आपगा नदी के तट पर श्राद्ध करने वाले मनुष्य निःसन्देह सर्व कामनाओं से पूर्ण हो जाएंगे। सभी पितर कहते हैं तथा पितामह स्मरण करते हैं कि हमारे कुल में कोई ऐसा पुत्र या पौत्र उत्पन्न होगा जो आपगा के पवित्र तट पर तिलों से तर्पण कर हमें अनन्त काल तक तृप्त करेगा। वामन पुराण में कहा गया है कि भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को मध्याह्न काल में यहाँ पिण्डदान करने वाला मनुष्य मोक्षपद को प्राप्त करता है।

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