इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में ब्रह्मसरोवर के पावन घाटों पर, विभिन्न राज्यों से आए शिल्पकारों की हस्तशिल्प कला ने सभी का मन मोह लिया है। वेस्ट लकड़ी से बने खूबसूरत पॉट्स और कारविंग शिल्पकला ने हर दर्शक को मंत्रमुग्ध कर दिया। इन अद्भुत शिल्पकला के नमूनों को राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर पहले ही कई सम्मान मिल चुके हैं।
शिल्पकारों ने नीम, शीशम, और टीक की लकड़ी से बनाए गए सुंदर और उपयोगी सामान जैसे झूला, कॉफी सेट, टी सेट, रॉकिंग चेयर, फ्लावर पॉट्स, और स्टूल को इस महोत्सव में प्रदर्शित किया है। इन शिल्पकारों का कहना है कि इन सुंदर हस्तशिल्प कृतियों को बनाने में 2 से 4 दिन का समय लगता है।
इस शिल्प कला का प्रदर्शन न केवल स्थानीय लोगों के लिए बल्कि दूर-दराज से आए पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन चुका है। पिछले साल की तरह इस साल भी पर्यटक इन अद्भुत शिल्प कृतियों को बड़े उत्साह से खरीद रहे हैं।
यह शिल्पकला न केवल कुरुक्षेत्र की पावन धरा को सजाती है, बल्कि यहां के सरस और क्राफ्ट मेला में एक अनोखी छाप भी छोड़ रही है। पर्यटकों को इस कला के माध्यम से न केवल खरीदारी का अवसर मिल रहा है, बल्कि वे भारतीय शिल्प कला के प्रति अपने प्यार और सराहना को भी व्यक्त कर रहे हैं।