हरियाणा की गायन शैलियों को बचा रहा है हरियाणा पवेलियन

हरियाणा की गायन शैलियों को बचा रहा है हरियाणा पवेलियन

गंगा स्तुति, शिव स्तुति, चौपाई, मंगलाचरण, चमोला, दोहा, कडा, काफिया सुना रहे हैं लोक कलाकार

कुरुक्षेत्र 22 दिसंबर अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग द्वारा आयोजित हरियाणा पैवेलियन लोक गायकी की गायन शैलियों को पैवेलियन के मंच पर प्रस्तुत कर लोक परम्परागत शैलियों को युवाओं से जोड़ रहा है। यहां पर गंगा स्तुति, शिव स्तुति, चौपाई, मंगलाचरण, चमोला, दोहा, कडा, काफिया आदि शैलियों के माध्यम से हरियाणा की पुरानी गायकी को फिर से जीवंत करने का कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का सराहनीय प्रयास है।

हरियाणा पवेलियन के संयोजक डॉ. महा सिंह पूनिया ने बताया कि लोक पारम्परिक रूप से गायन शैलियों का लोकजीवन में विशेष योगदान है। शैलियों एवं रागों के आधार पर गायन की परम्परा हरियाणवी लोकजीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा रही हैं। जीन्द के राजा ने रागों के आधार पर अनेक गांवों को बसाया था। इससे पता चलता है कि लोकजीवन में रागों एवं गायन शैलियों की कितनी महत्ता है। वास्तव में ग्रामीण अंचल में लोग अपना मनोरंजन गायन, वादन आदि के माध्यम से करते हैं। डॉ. पूनिया ने बताया कि लोक में गाने के अनेक तरीके एवं स्वरूप निहित हैं। लोक पारम्परिक तरीके से जो गायन किया जाता है उसे लोक में लोक गायन कहते हैं। लोक गायन के लिए जो अलग-अलग शैलियां और तरीके मनोरंजन के लिए अपनाये जाते हैं।

उन्होंने कहा कि उनको जनमानस लोक गायन शैलियों के नाम से पुकारता है। गायन शैलियां लोक पारम्परिक रूप से सदियों पुरानी हैं। इनमें गायन और वादन के मिश्रण से ही लोक नाट्य कला का स्वरूप विकसित हुआ है, जिसके माध्यम से गायन, कथा, संवाद, संगीत, अभिनय सभी का स्वरूप समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा बना है। गायन शैलियों में गंगा स्तुति, शिव स्तुति, भजन पुराणी, त्रिभुज, देवी भेंट, बारामासा, उलटबांसी आदि भी लोक गायकी का महत्वपूर्ण हिस्सा रही हैं। गायन शैलियों में सूरज बेदी, बाबा धूनीनाथ, विकास सातरोड सहित अनेक ऐसे गायक हैं जो हरियाणा की गायन शैलियों को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है।

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