हरियाणावी रागनियों, गीतों व भजनों ने महोत्सव में छोड़ी अपनी अमिट छाप

हरियाणावी रागनियों, गीतों व भजनों ने महोत्सव में छोड़ी अपनी अमिट छाप

प्रसिद्ध लोक कलाकार अमित ढुल की प्रस्तुति पर जमकर नाचे पर्यटक, हरियाणावी लोक संस्कृति के सरंक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे है लोक कलाकार
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में हरियाणा के प्रसिद्ध लोक कलाकार अमित ढुल ने अपने साथी कलाकारों के साथ हरियाणा मंडप आयोजित कार्यक्रम में रागनियां, गीतों व भजनों के माध्यम से हरियाणा मंडप में श्रोताओं/दर्शकों का मन मोह लिया वहीं लोक संस्कृति को बचाने का आह्वान भी किया। उन्होंने रागनियों एवं गीतों के द्वारा विदेशों में जहां अपनी पहचान बनाई है, वहीं हरियाणा की लोक संस्कृति को विदेशों में बढ़ाने का कार्य किया। उन्होंने सुरीली रागनियां एवं गीत गाकर दर्शकों/श्रोताओं के मन को देशभक्ति से सराबोर कर दिया और दर्शकों ने भी अपनी तालियों की करतल ध्वनि से इनके साथी कलाकारों का जोरदार अभिवादन किया। अमित ढुल ने अपने साथी कलाकारों के साथ हरियाणा मंडप में अपने गीतों की प्रस्तुति के माध्यम से जहां दर्शकों एवं श्रोताओं का मनोरंजन किया, वहीं उनमें देशभक्ति की भावना को बढ़ाने का काम किया।
उन्होंने अपने गायन के माध्यम से राधा-कृष्ण की लीलाओं का बखूबी वर्णन किया। अपने गीतों के माध्यम से लोक संस्कृति को बचाए रखने के लिए जो संदेश दिया वह अपने आप में अनूठा ही नहीं बल्कि हमारे युवाओं के लिए अच्छा पैगाम भी है। उनकी हर रागनी एवं गीत में हरियाणवी लोक संस्कृति के एक-एक शब्द ने जहां दर्शकों को सोचने व समझने के लिए मजबूर किया बल्कि दर्शकों ने बड़ी ही उत्सुकता से उनकी रागनियों एवं गीतों को सुना। उन्होंने रागनियों के द्वारा बताया कि लोक गीतों के माध्यम से हम अपनी सांस्कृतिक विरासत को बचा सकते हैं, साथ ही उनसे जुड़ने का सीधा मौका हमें मिलता है। हरियाणा की धरती पर कलाकारों की कोई कमी नहीं है, बस ऐसे कलाकारों को एक अच्छा मंच उपलब्ध करवाने की जरूरत है। इस दिशा में हरियाणा कला परिषद लोक संस्कृति को बचाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

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