महोत्सव में अनोखे ढंग से दिया जा रहा पर्यावरण संरक्षण का संदेश

महोत्सव में अनोखे ढंग से दिया जा रहा पर्यावरण संरक्षण का संदेश

…सिलेंडर में बिकती सांसे, वायुमंडल में लगातार कम हो रही जीवनदायिनी वायु, कोरोना काल में अपनों को खोने का दर्द साफ नजर आता है ग्रीन मैन की बातों में
कुरुक्षेत्र 2 दिसंबर ग्रीन मैन के नाम से पहचान बना चुके यमुनानगर के मंगा सिंह पर्यावरण बचाने के लिए बीस वर्ष से लगे हुए है। वह अनोखे ढंग से लोगों को पर्यावरण बचाने का संदेश दे रहे है। वह अक्सर बड़े मेलों व स्कूलों में जाकर बच्चों को पर्यावरण बचाने व अधिक से अधिक पेड़ लगाने का संदेश दे रहे है। जहां एक ओर महोत्सव के सरस और शिल्प मेले में विभिन्न राज्यों की लोक कला, शिल्प कला के दर्शन हो रहे, गीता का सार सारी दुनिया को सुनने को मिल रहा है, वहीं ग्रीन मैन मंगा सिंह अपनी विशेष वेशभूषा से महोत्सव में आने वाले पर्यटकों व श्रद्धालुओं को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे है।
…सिलेंडर में बिकती सांसे, पेड़ लगाओ-पर्यावरण बचाओ जैसे स्लोगनों व पीठ पर सिलेंडर का मॉडल व उसमें पेड़ की प्रतिकृति को स्थापित कर ग्रीन मैन मंहा सिंह लोगों को जागरूक कर रहे है। वे अब तक बीस हजार से अधिक पेड़ लगा चुके है। वह हर वर्ष एक सौ पचास से अधिक पौधे लगाता है और पांच वर्ष तक उनकी रक्षा भी करते है। मंगा सिंह पिछले तीन वर्षो से गीता महोत्सव में आकर लोगों को अधिक से अधिक पेड़ लगाने की भावनात्मक अपील कर रहा है। वह अपने गांव में ही फास्ट फूड की एक दुकान चलाकर अपना गुजर-बसर कर रहे है। इसके बावजूद भी वह अपने खर्च पर पर्यावरण संरक्षण के कार्य मेहनत से कर रहे है। वह लोगों को गांव-गांव जाकर विवाह शादी, जन्मदिन, दुकान के शुभारंभ आदि कार्यक्रम पर लोगों से कम से कम एक वृक्ष लगाकर उसकी देखभाल करने के लिए आह्वान करते है और कहीं भी किसी कार्यक्रम में जाते है। तो वह गिफ्ट की जगह एक पौधा भेंट करते है।
मंगा सिंह ने जानकारी देते हुए कहा कि वे समय-समय पर वन विभाग के अधिकारियों के साथ मुलाकात करके पर्यावरण संरक्षण की योजनाओं के बारे में जानकारी लेते रहते है। उसके बाद उन योजनाओं को आम लोगों के अवगत करवाते है और पौधे लगाने के लिए लोगों की हर सभंव मदद करते है। इस मुहिम के लिए मंगा सिंह को वन विभाग के द्वारा हरियाणा सरकार में मंत्री कंवर पाल गुजर के हाथों राज्य स्तरीय पुरस्कार भी मिल चुका है। ऑक्सीजन कि कमी से अपनों से बिछड़ने का दर्द वह लोग ही जानते है, जिन्होंने कोरोना काल में अपनो को खोया है। वह यह बात कहते हुए भावुक हो जाते है कि लोग इतनी बड़ी आपदा के बाद भी समझने को तैयार नहीं है। यह खतरा हमारी अपनी गलतियों की वजह से है, और इसे समय रहते सुधारा जा सकता है। इस गीता स्थली पर आकर मुझे गीता का वह सदेंश एक अलग ही ऊर्जा प्रदान करता है कि तुम कर्म करे जाओ फल की चिंता ना करो। तो मैं फल की लालसा बगैर अपना कर्म कर रहा हूं। मंगा सिंह को विश्वास है कि उनकी यह मुहिम एक दिन समाज में अपना एक अलग रंग की छटा बिखेरेगी।

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