भारतीय अस्मिता एवं संस्कृति के प्रबल समर्थक थे डा. अंबेडकर:अग्निहोत्री

भारतीय अस्मिता एवं संस्कृति के प्रबल समर्थक थे डा. अंबेडकर:अग्निहोत्री

अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के दौरान आयोजित डा. भीमराव अंबेडकर के जीवन पर संगोष्ठी का आयोजन

अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के दौरान आज हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी द्वारा हरियाणा पुस्तक मेले में स्थापित साहित्य मंच के अंतर्गत सप्तसिंधु अंबेडकर स्टीड मंच चंडीगढ़ तथा वाल्मीकि सभा कुरुक्षेत्र द्वारा आज बाद दोपहर डा. भीमराव अंबेडकर के जीवन पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के कार्यकारी उपाध्यक्ष प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में डा. भीमराव अंबेडकर के चिंतन एवं जीवन दर्शन पर विस्तार से प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि हमें अंबेडकर के मूल मंत्र की पढो और आगे बढ़ो पर ईमानदारी से अमल करना चाहिए। डा. भीमराव अंबेडकर भारतीय संस्कृति एवं भारतीयता के प्रबल समर्थक थे। इसलिए उन्होंने महात्मा गांधी से एक बार कहा था कि कोई भी ऐसा कार्य नहीं करेंगे कि जिससे भारत की अस्मिता एवं संस्कृति को ठेस पहुंचे। डा. अग्निहोत्री ने डा. अंबेडकर के चिंतन के विविध आयामों पर शोध कार्य करने की अपार संभावनाओं का भी उल्लेख किया। इस अवसर पर डा. अंबेडकर स्टीडज मंच के अध्यक्ष डा. देवेन्द्र सिंह, वाल्मीकि सभा कुरुक्षेत्र के प्रधान जगीरी लाल, महर्षि वाल्मीकि आश्रम कुरुक्षेत्र के प्रधान दीपक गिल ने भी अपने विचार रखे। विचार गोष्ठी में शिव कुमार डीपी, दिनेश जिंदल, मनोज कुमार, डा. धर्मबीर, दिनेश वाल्मीकि सहित अनेक विद्वान उपस्थित थे। इस अवसर पर राजकीय महाविद्यालय सफीदों में कार्यरत एसोसिएट प्रोफेसर डा. मंजू देवी की पुस्तक ‘हरियाणवी लोकगीतों में श्रीकृष्ण’ का भी लोकार्पण किया गया।

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