भगवान श्रीकृष्ण के वस्त्र, श्रृंगार, आसन, बिछोने को चाव से खरीद रहे हैं बच्चे और महिलाएं

भगवान श्रीकृष्ण के वस्त्र, श्रृंगार, आसन, बिछोने को चाव से खरीद रहे हैं बच्चे और महिलाएं

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में विभिन्न प्रदेशों से आये हस्तकला शिल्पकार अपनी-अपनी विधा से परिपूर्ण सामान लेकर पंहुचे हैं। गुजरात से वंदना ठक्कर ने स्टाल नम्बर 11 पर हस्तकला से बने हुए भगवान श्रीकृष्ण के वस्त्र, श्रृंगार, आसन और बिछोनों की स्टाल लगाई है। इस स्टाल पर महोत्सव में पंहुचने वाले पर्यटक विशेषकर बच्चे और महिलाएं इनके सामान को खरीद रहे हैं। इसके साथ-साथ पर्यटक इनके द्वारा बेची जा रही सुगंधित अगरबत्तियां भी ले रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पर्यटकों द्वारा पूरे वर्ष भर के लिये विशेष अगरबत्तियों की खरीद की जा रही है।
गुजरात से पंहुची हस्तकला कारीगार वंदना ठक्कर ने बताया कि इस कार्य में करीब 150 महिलाएं हस्तकला का सामान निर्मित करती हैं। विशेषतौर से भगवान श्रीकृष्ण के वस्त्र, श्रृंगार का सामान, अगरबत्ती, धूप, आसन व बिछोनों को बनाया जाता है। पिछले लगभग 12 साल से महोत्सव में पंहुचने वाली वंदना ने बताया कि स्कूली बच्चे अपने साथ गोपाल को लाते हैं और उनकी प्रतिमा के लिये सभी सामान का चयन करने उपरांत कीमत पूछते हैं तो लगभग 100 रूपये से 150 रुपये का सामान बनता है, परन्तु कईं बच्चे पैसे कम होने की बात कहते हैं तो उन बच्चों को भगवान का स्वरूप देखकर उन्हें विशेष छूट देकर कम पैसों में सामान दे दिया जाता है क्योंकि बच्चे भगवान का रूप होते हैं। उन्होंने कहा कि इस मौसम में आते हुए कईं परमानैंट पर्यटकों से पारिवारिक रिश्ते भी बनें हैं। पर्यटक जब घर से आते हैं तो खाने इत्यादि की वस्तु भी हमारे लिये लाते हैं जोकि सामाजिक सौहार्द का एक बहुत बड़ा उदाहरण है। उन्होंने कहा कि आगे भी इसी तरह इस मौसम में  आते रहेंगे और भगवान के चरणों में नमन करते रहेंगे।

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