International Gita Mahotsav

ब्रहम सरोवर के तट पर प्रकृति रक्षा पद यात्रा का हुआ आयोजन

वन विभाग के प्रशिक्षुओं ने कि अपील आओ लौट चले प्रकृति की ओर, महोत्सव में आने वाले पर्यटकों ने ली शपथ पौधे को संवार कर बनाएंगे वृक्षकुरुक्षेत्र 11 दिसंबर मुख्यमंत्री मनोहर लाल के हरा-भरा हरियाणा के सपने को साकार करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के अवसर पर वन मंत्री कंवरपाल की प्रेरणा व प्रधान मुख्य वन संरक्षक वीएस तंवर के मार्गदर्शन में पर्यावरण प्रदर्शनी एवं विमर्श का आयोजन किया जा रहा है। मुख्य वन संरक्षक जी रमण के सानिध्य में आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर कुरूक्षेत्र ब्रहमसरोवर के पवित्र घाट पर वन विभाग के प्रचार एवं प्रसार विभाग द्वारा किताबें कहती है आ लौट चले प्रकृति की ओर विषय पर पर्यावरण प्रदर्शनी एवं विमर्श का आयोजन किया गया। पर्यावरण प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए मुख्य वन संरक्षक जी रमण ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर गीता महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित पुस्तक मेला परिसर में पर्यावरण प्रदर्शनी का आयोजन करना वास्तव में गीता को सच्चे अर्थो में आत्मसात करने की एक कोशिश है। भगवतगीता में भगवान कृृष्ण कहते हैं कि समूचे ब्रहमाण्ड में मैं ही व्याप्त हूं और सृृष्टि के समस्त पदार्थ मुझमें ऐसे जुड़े हैं जैसे हार में मोती। इस प्रकार पर्यावरण भी एक आभूषण है तथा वायु, जल, थल, वनस्पति आदि तत्व मोती। ईश्वर द्वारा बनाये गये इस आभूषण का सौन्दर्य मनुुष्य के अनैतिक क्रियाकलापों के कारण खत्म होता जा रहा है। अत: पर्यावरण के प्रति हमारा नैतिक कर्तवय है कि हम इसकी रक्षा करें तथा इस आभूषण की पहुची क्षति को ठीक करें। उन्होंने कहा कि ब्रहमसरोवर के पवित्र तट पर इतने श्रद्धालु आ रहे है यदि सभी लोग एक शपथ लेकर जाये कि वो कभी भी पवित्र जल की पवित्रता को नष्ट नहीं करेगें तथा पर्यावरण प्रहरी  बनेगें और लोगों को भी अपने साथ जोड़ते हैं तो सही मायनों में गीता महोत्सव का कुछ हद तक उद््ेदश्य सफल हो जायेगा। केडीबी के सीईओ अनुभव मेहता ने प्रकृति रक्षा पदयात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि ब्रहमसरोवर के तट पर प्रत्येक वर्ग के लोग आ रहे है। इस लिए नागरिक अपील के रूप में यह मार्च 48 कोस के नागरिक समाज को प्रकृति रक्षा का सहयात्री बनायेगा। इस अवसर पर  निर्मल नागर, संयुक्त परिवहन आयुक्त ने कहा कि लोगों को पर्यावरण संरक्षण हेतु जागरूक करने के लिए वन विभाग के प्रशिक्षु डिप्टी रेंजर तथा मॉडल संस्कृति स्कूल के एन सी सी कैडेट्स की भागीदारी से जो पद यात्रा संयोजित की गयी, वह तीर्थयात्रियों को प्रकृति रक्षा का संदेश दे रही है। विमर्श में हिस्सेदारी करते हुए संरक्षक वन निवेदिता ने कहा कि ब्रहमसरोवर हमारे आस्था का पवित्र स्थल है। ईश्वर की आराधना हेतु बड़ी संख्या में लोग यहां आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं सभी लोगों से यही अपील करती हूं कि यदि हम वास्तव में ईश्वर की आराधना करना चाहते हैं तो ईश्वर द्वारा प्रदत्त पांच तत्वों की आराधना करें क्योकि भ से भूमि, ग से गगन, व से वायु, अ से अग्नि, तथा न से नीर। वास्तव में यहीं ईश्वर है जो जीवनदायिनी है। विमर्श में हिस्सेदारी देते हुए समाजसेवी अनिल गुप्ता ने कहा कि ब्रहमसरोवर के तट पर किताबों की दुनिया विचारों का उत्सव जैसा है। भगवद्गीता ऐसा विचार ग्रन्थ है जिसे पूरी दुनिया ने पढ़ा है। मंडलीय प्रचार अधिकारी सरोज पवार ने कहा कि वन विभाग हरियाणा द्वारा किताबों के माध्यम  से नयी पीढ़ी को पर्यावरण साहित्य से जोडऩे का प्रयोग किया जा रहा है। क्योंकि समकालीन समय में पर्यावरण मुख्य मुद््दा बन गया है। इस अवसर पर वन विभाग से श्री धमबीर ने कहा कि अब समय आ गया है हम पर्यावरण संरक्षण को व्यवहार में अपनाये। सत्र का संचालन करते हुए संस्कृतिकर्मी श्री राजीव रंजन ने कहा कि पानी समाज की प्यास बुझाता है पर समाज है पानी की संस्कृति को भूलता जा रहा है। इस अवसर पर वन विभाग से तरूण कुमार, राकेश, रीता राय सहित वन विभाग के प्रचार विंग के कर्मचारी उपस्थित थे।बाक्सआओ लौट चले प्रकृति की ओर वन विभाग के प्रशिक्षुओं की अपीलवन विभाग प्रशिक्षण केन्द्र पिंजौर के प्रशिक्षुओं ने ब्रहम सरोवर के तट पर आओ लौट चले प्रकृति की ओर नारे के साथ प्रकृति रक्षा पद यात्रा की। देखते ही देखते तीर्थयात्रिओं का समूह पदयात्रा का हिस्सा बन गया। जलवायु परिवर्तन के दौर में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अपील कार्बन उत्सर्जन मुक्त भारत संभव है की अवधारणा को साकार करने की पहल के रूप में वन विभाग के प्रशिक्षुओं की पदयात्रा गीता जंयती महोत्सव में आये लोगो के बीच कौतूहल का विषय बन गया। इस अवसर पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी श्री जगदीश चन्द्र ने कहा कि वासुदेव कृष्ण ने पार्थ अर्जुन को उपदेश देते हुए कहा है कि पर्यावरण जीवन का आवरण है इसकी संवेदनशीलता को समकालीन समाज को समझना होगा। जीवन जगत का आधार प्रकृति ही है। प्रकृति ही ईश्वर का साक्षात रूप है इसे संवारना मानव जाति के जीवन को संकट से बचाना है।

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