बारीकी का अनोखा नमूना है अजमेर के कलाकार की किशनगढ़ी चित्रकला

बारीकी का अनोखा नमूना है अजमेर के कलाकार की किशनगढ़ी चित्रकला

अजमेर के सुप्रसिद्ध कलाकार, पुष्पेंद्र साहू, ने इस बार के अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव 2023 में स्टॉल न 137 पर अपने अद्भुत कला को किया प्रदर्शित। किशनगढ़ चित्रकला में इनके परिवार की पुस्तैनी माहिरी होने के कारण पुष्पेंद्र साहू ने इस कला को अपनाया और इस बार ये इस महोत्सव में अपनी कुछ बेहद खूबसूरत और बारीक काम वाली पेंटिंग्स लेकर पधारे हैं। ये विशेष रूप से बनिठानी और पिछवाई पेंटिंग्स के लिए मशहूर हैं। पिचवाई पेंटिंग्स और विभिन्न पोस्ट कार्ड और प्राचीन स्टैम्प्स पर नगरी कला की छवियाँ भी इनके द्वारा प्रदर्शित की जा रही हैं।

किशनगढ़ चित्रकला के बारे में बताते हुए पुष्पेंद्र साहू ने कहा की इस कला का प्रयोग भारत सरकार के द्वारा डाक टिकट पर भी किया जा चुका है। इस कला से बनी मशहूर पेंटिंग इंडियन मोनालिसा ने गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी अपनी जगह बनाई है, जो सावन सिंह जी के शासनकाल में निहाल चंद कलाकार ने बनाई थी। पुष्पेंद्र साहू की सबसे बेहतरीन कामों में से एक पेंटिंग है दोहरे महारास लीला पेंटिंग। इस पेंटिंग की खासियत है इस में किया गया 24 कैरेट सोने का काम और इसका अद्वितीय डिजाइन। इसका मूल्य डेढ़ लाख रुपए से दो लाख रुपए तक है और ये इनकी सबसे महंगी पेंटिंग है। इसके साथ ही, साहू ने पुराने पोस्टकार्ड और प्राचीन स्टैम्प्स पर भी छोटे चित्रों का निर्माण किया है, जिनमें सबसे सस्ता पोस्टकार्ड चित्र 250 रुपये का है।

एक हफ्ते में सिर्फ 2000 की बिक्री पर असंतोष व्यक्त करते हुए पुष्पेंद्र साहू ने कहा की धीरे धीरे कला की मांग और प्रशंसा में कमी आई है। पुराने समय में हर घर में चित्र होते थे लेकिन अब लोगों में कला की जानकारी और कदर खत्म होती जा रही है। इसी कारण से कलाकारों की कमी भी देखने को मिल रही है। इस आधुनिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से समृद्ध घटना में, पुष्पेन्द्र साहू ने अपनी कला से रंग भरी है और गीता महोत्सव को एक अनेकानेक दृष्टिकोण से सजाया है।

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