देश की युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाने के लिए पवित्र ग्रंथ गीता और रामायण जैसे महान ग्रंथों से आत्मसात करवाना जरुरी:भाग्यश्री

देश की युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाने के लिए पवित्र ग्रंथ गीता और रामायण जैसे महान ग्रंथों से आत्मसात करवाना जरुरी:भाग्यश्री

श्रीराम की नगरी अयोध्या के बाद भगवान श्रीकृष्ण की कर्मभूमि पर आने का मिला सौभाग्य, डांस, ड्रामा और म्यूजिक से पवित्र ग्रंथ गीता के उपदेशों को आमजन तक पहुंचाने का कर रही है प्रयास, गीता महोत्सव का हिस्सा बनने पर उन्हें है फक्र, महाभारत के पात्र बर्बरीक पर कर रही है नाटक की प्रस्तुति

बॉलीवुड की प्रसिद्घ अभिनेत्री भाग्यश्री ने कहा कि देश की युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाने के लिए पवित्र ग्रंथ गीता और रामायण जैसे महान ग्रंथों से आत्मसात करवाना बहुत जरुरी है। इस आधुनिक दौर में जहां युवा पीढ़ी पर पाश्चात्य: संस्कृति का प्रभाव पड़ रहा है, वहीं आज पवित्र ग्रंथ गीता के उपदेशों को आमजन तक पहुंचाने का कर्तव्य निभाने का प्रयास प्रत्येक मानव को करना चाहिए। इस पवित्र गीता स्थली पर आने का उन्हें सौभाग्य प्राप्त हुआ है। हालांकि इससे पहले श्रीराम की नगरी अयोध्या में परफॉर्मेंस देने का अवसर मिला था।

बॉलीवुड फिल्म अभिनेत्री भाग्यश्री बुधवार को अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2023 में महाभारत के पात्र बर्बरीक के नाटक का मंचन करने के लिए ब्रह्मसरोवर पुरुषोत्तमपुरा बाग में पहुंची। यहां पर बातचीत करते हुए फिल्म अभिनेत्री भाग्यश्री ने कहा कि अयोध्या के बाद कुरुक्षेत्र में बर्बरीक पर नाटक करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है और सबसे अहम पहलू यह है कि अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का हिस्सा बनने पर वे गौरवान्वित महसूस कर रही है। ऐसा लगता है कि भगवान श्रीकृष्ण की कृपा उन पर बनी हुई है। कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में पहली बार पहुंची है। इस पावन धरा के बारे में बखूबी जानती है। इसलिए इस धरा पर आने के लिए महाभारत के अहम पात्र बर्बरीक को लेकर नाटक तैयार किया है। इस नाटक में डांस, ड्रामा और म्यूजिक को शामिल किया गया है। इस डांस, ड्रामा और म्यूजिक के माध्यम से गीता के संदेश सहजता से आमजन तक पहुंचाए जा सकते है।

फिल्म अभिनेत्री ने कहा कि आने वाली युवा पीढ़ी को पवित्र ग्रंथ गीता से जोड़ने के लिए गीता महोत्सव जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना जरुरी है। इसके साथ ही युवा पीढ़ी को अच्छी शिक्षा, संस्कार देने के साथ-साथ प्राचीन संस्कृति से रुबरु करवाने के लिए अमर चित्र कथा जैसे धारावाहिकों को तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को प्राचीन संस्कृति के साथ जोड़ने के लिए तथ्यों और साहित्यों को एंटरटेनमेंट के साथ जोड़ना जरुरी है। इसलिए बर्बरीक पर आधारित नाटक में डांस, म्यूजिक और ड्रामा को एक साथ जोड़ने का अनोखा प्रयास किया गया है। यह प्रयास निश्चित ही युवा पीढ़ी को एक नई प्रेरणा देने का काम करेगा।

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