अन्र्तराष्टï्रीय गीता महोत्सव के अवसर पर ब्रहमसरोवर के तट पर बनारसी साडिय़ां व दुपटे लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे है। महिलाएं एवं युवतियां जमकर बनारसी साडिय़ों की जहां विभिन्न वैरायटियां देखकर आकर्षित है, वहीं उन्हें खरीदने का काम भी कर रही है। शिल्पकार जावेद अली ने बताया कि अन्र्तराष्टï्रीय गीता महोत्सव में वह काफी समय से आ रहे है। शुरू में तो लोगों का रूझान कम था लेकिन जैसे-जैसे महोत्सव में लोगों का जमावड़ लग रहा है वैसे-वैसे उनके स्टाल पर भी लोग खरीददारी करने के लिए भारी संख्या में पहुंच रहें हैं। उन्होंने बताया कि बनारस की साडिय़ों की अपनी विशेषता होती है और यह हर जगह प्रसिद्घ है। उन्होंने यह भी बताया कि इन साडिय़ों की खासियत यह है कि यह मिलों में न तैयार करके मोहल्लों में प्रत्येक घर जहां खुडिय़ां है वहां उन्हें तैयार करने का काम किया जाता है। साड़ी को तैयार करने में कम से कम दो दिन लगते है और कई साडिय़ां तो ऐसी हैं जिन्हें एक महीने में तैयार करने काम किया जाता है। उन्होंने बताया कि महिलाओं में साडिय़ों को लेकर रूचि है, वहीं सूटो व दुपटो को लेकर भी वे काफी आकर्षित है। सूटो को बनाने में हाथ का वर्क ज्यादा होता है तथा इस कारण सूट की सुंदरता बढ जाती है। उन्होंने जिला प्रशासन का विशेष तौर पर आभार व्यक्त किया कि अन्र्तराष्टï्रीय गीता महोत्सव पर उन्हें बनारस की साडिय़ों को यहां पर दिखाने का सुनहरा अवसर मिला है। महोत्सव में घूमने व खरीदारी करने आई महिला रुपा, अमृता, सुधा सैनी ने बताया कि बनारस की साडिय़ों का नाम काफी सुना है लेकिन आज इन साडिय़ों को देखकर वे काफी आकर्षित है। नि:संदेह कारीगरों ने इन साडिय़ों को बनाने में अपनी कला का भरपूर कार्य किया है जिससे कि साड़ी की सुंदरता बढ़ जाती है।