हरियाणा की लोक संस्कृतिक के परिचायक आभूषण सबको कर रहे हैं अपनी ओर आकर्षित
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में हरियाणा पवेलियन में लगा हरियाणावीं आभूषणों और परिधानों का स्टॉल सबको अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। पवेलियन में आने वाली महिलाएं व लड़कियां इस स्टॉल पर रुक कर रानीहार, कंठी, मटरमाला, छालरा सहित अन्य आभूषणों को देखने के साथ-साथ खरीद भी रही हैं। सबसे ज्यादा महिलाएं रानीहार व मटरमाला को खरीद रही हैं।
युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के निदेशक प्रो. महा सिंह पुनिया ने बताया कि हरियाणा पवेलियन में हरियाणा की लोक संस्कृति को दिखाया गया है। गुरूग्राम से खासतौर अंजू दहिया को बुलाया गया है, जोकि परम्परागत हरियाणा के आभूषणों और परिधानों को बनाने के लिए पूरे देश व विदेश में प्रसिद्घ है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय इस बार आत्मनिर्भर और स्वावलंबी भारत के सपने को साकार करने पर कार्य कर रहा है। इसलिए इस बार जो कलाकार अपनी कला को ही लेकर आगे बढ़ रहा है, उसे मंच प्रदान किया गया है। अंजू दहिया दो सालों से हरियाणा के सभी परम्परागत आभूषणों को अपने हाथ से बनाने के कार्य में लगी हुई है। इसके साथ-साथ हरियाणा के जो परम्परागत परिधान हैं, उन्हें भी वह तैयार कर रही है। उसके स्टॉल पर आने वाली महिलाएं व लड़कियां सबसे ज्यादा रानीहार व मटरमाला को देखकर आकर्षित हो रही है और उसे खरीदनें में रूचि दिखा रही है। हाल ही में तीज पर आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अंजू दहिया को विशेषरूप से पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया था।
अंजू दहिया ने बताया कि गत 2 वर्ष पूर्व उसने अपना काम शुरू किया था और वह हाथ से आभूषण बनाती है और उसके आभूषणों का डिजाईन हरियाणा के परम्परागत आभूषण हैं। उसकी इच्छा है कि देश व विदेश में हरियाणा के आभूषणों की धूम मचे। क्योंकि आधुनिकता के इस दौर में हरियाणा के आभूषण व परिधान लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इसलिए वे अकसर हरियाणा की संस्कृति को लेकर जो फैशन शो होते हैं, उनमें उनके बनाए हुए आभूषणों व परिधानों का प्रयोग होता है। उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा के आत्मनिर्भर व स्वावललंबी भारत के संकल्प की खुले मुह से तारीफ की और कहा कि इससे युवा कलाकारों को आगे बढऩे का मौका मिलेगा।