International Gita Mahotsav

 

INTERNATIONAL GITA MAHOTSAV

Kurukshetra, Haryana (15 November to 5 December 2025)

प्रसिद्ध भजन गायक कुमार विशु की भक्ति रस रचनाओं से भक्ति रंग से सरोबार हो गया संध्याकालीन मुख्य सांस्कृतिक मंच

काम चले न चांदी से, काम चले न सोने से, अब तो काम चले मेरा कान्हा के दर्शन होने से:कुमार विशु
प्रसिद्ध भजन गायक कुमार विशु की भक्ति रस रचनाओं से भक्ति रंग से सरोबार हो गया संध्याकालीन मुख्य सांस्कृतिक मंच, प्रिंस डांस ग्रुप के कलाकारों ने दी गणेश स्तुति व दशावतार की प्रस्तुति
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के संध्याकालीन मुख्य सांस्कृतिक मंच पर प्रसिद्घ भजन गायक कुमार विशु के भक्तिरस रचनाओं से पूरा वातावरण भक्ति के रंग में सरोबार हो गया। भजन गायक कुमार विशु ने अपनी प्रस्तुति का शुभारंभ काम चले न चांदी से, काम चले न सोने से अब तो काम चले है मेरा कान्हा का दर्शन होने से किया।
संध्याकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ सांसद नायब सिंह सैनी, विधायक सुभाष सुधा, केडीबी के मानध सचिव मदन मोहन छाबडा, केडीबी के सीईओ चंद्रकांत कटारिया, सौरभ चौधरी, सुशील राणा आदि ने  दीपशिखा प्रज्जवलित करके किया। संध्याकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रम में सबसे पहले प्रिंस डांस गु्रप के कलाकारों ने गणेश स्तुति तथा दशावतार विषय पर नृत्यावली के माध्यम से किया। इसके बाद प्रसिद्घ भजन गायक कुमार विशु ने सामाजिक चेतना व धार्मिक रस से परिपूर्ण प्रस्तुतियां देकर पड़ाल में बैठे दर्शकों को भक्ति रस में रंगने का कार्य किया। उन्होंने अपनी प्रस्तुति कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं, बाद अमृत पिलाने से क्या फायदा गाकर संदेश दिया कि हम सभी को मानवता की सेवा करनी चाहिए और जरूरतमंद की बढ़चढक़र मदद करनी चाहिए। उन्होंने अपनी अन्य प्रस्तुतियों भला किसी का कर न सको, तो बुरा किसी का मत करना, उड गया हंस अकेला, रामायण की चौपाईयों, अब घर-घर में रावण बैठा, इतने राम कहां से लॉऊ आदि सुनाकर दर्शकों की खुब तालियां बटोरी।
प्रसिद्घ भजन गायक कुमार विशु ने बातचीत करते हुए कहा कि भजन शान्ति प्राप्त करने का एक सशक्त माध्यम है। भक्ति भावना से सुना गया सतसंग निश्चित तौर पर जीवन में बदलाव लाता है और सभी को सत्य के मार्ग पर चलने की प्ररेणा देता है। भजन का अर्थ भावपूर्ण होता है और इसके माध्यम से आनंदभूति की प्राप्ति होती है। सभी को सदमार्ग पर चलने की प्ररेणा मिलती है। कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर भजन प्रस्तुति देकर सच में आंतरिक तौर पर एक अलग एहसास हुआ है। वर्तमान प्रवेश में हमें भजन के मूल अर्थ से हमें जुडना चाहिए और परमात्मा की भक्ति के साथ-साथ अपने माता-पिता का पूरा मान सम्मान करना चाहिए, क्योंकि मॉ बाप का स्थान सबसे पहले है जिसका सबसे बडा उदाहरण भगवान गणेश  द्वारा तीनों लोको की परिक्रमा नहीं करके अपने माता-पिता भगवान शिव पावर्ती की परिक्रमा करना है। उन्होंने कहा कि भक्ति संगीत के क्षेत्र में उन्होंने रामायण की चौपाईयों से शुरूआत की थी, कोशिश रहती है कि अर्थपूर्ण तथा सामाजिक चेतना पर आधारित प्रस्तुतियां दी जाए। इस अवसर पर नगरपरिषद की निर्वतमान अध्यक्षा उमा सुधा, उपेन्द्र सिंघल, कला एवं सांस्कृतिक अधिकारी दीपिका, तान्या चौहान, रेणू हुड्डïा सहित आदि गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top
Enable Notifications OK No thanks