पितल (तांबा) के बर्तनों की नाजुकता और सौंदर्य ने महोत्सव में एक खास आकर्षण पैदा किया। हर बर्तन की कारीगरी में भारतीय हस्तशिल्प की उत्कृष्टता, परंपरा और कला का सुंदर समागम था। यह न केवल हमारे पारंपरिक व्यंजन पकाने के लिए उपयोग होते थे, बल्कि संस्कृति, आस्था और परंपराओं का भी प्रतीक थे।
इस अद्वितीय कारीगरी ने महोत्सव में आने वाले दर्शकों को भारतीय धरोहर की महत्वता और सौंदर्य से परिचित कराया। हर बर्तन की चमक, उसकी बनावट और उसमें समाहित कला ने एक अलग ही आत्मीयता और गौरव की अनुभूति कराई।
अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सुरंदर पितल के बर्तन भारतीय कला और संस्कृति को नए आयाम तक पहुँचाने का एक शानदार उदाहरण बने।