International Gita Mahotsav

 

INTERNATIONAL GITA MAHOTSAV

Kurukshetra, Haryana (15 November to 5 December 2025)

Rantuk Yaksha, Bir Pipli

रन्तुक यक्ष को समर्पित यह तीर्थ कुरुक्षेत्र के बीड़ पिपली नामक स्थान पर सरस्वती के किनारे स्थित है। महाभारत के अनुसार कुरुक्षेत्र की पावन भूमि सरस्वती एवं दृषद्वती के मध्य स्थित है। इस भूमि के चार कोनों में चार यक्ष स्थित हैं। यही यक्ष कुरुक्षेत्र भूमि के रक्षक कहलाते थे। महाभारत में इन यक्षों को तरन्तुक, अरन्तुक, रामह्रद तथा मचक्रुक नामों से पुकारा गया है जिनके बीच की भूमि कुरुक्षेत्र, समन्तपंचक तथा ब्रह्मा की उत्तर वेदी कहलाती है।
इन चार यक्षों में से बीड पिपली स्थित यक्ष को महाभारत में तरन्तुक यक्ष कहा गया है। कालान्तर में तरन्तुक यक्ष को रन्तुक यक्ष नाम से जाना गया। वामन पुराण में इसी यक्ष को रत्नुक यक्ष भी कहा गया है। इस पुराण के अनुसार कुरुक्षेत्र की यात्रा प्रारम्भ करने से पूर्व रत्नुक यक्ष के दर्शन करना आवश्यक है क्यांेकि यह यक्ष तीर्थ यात्रियों के यात्रा के दौरान मार्ग मे पड़ने वाले विघ्नों को दूर करते थे।
वामन पुराण के अनुसार इस यक्ष का अभिवादन किए बिना कोई भी व्यक्ति कुरुक्षेत्र के तीर्थों के भ्रमण का अधिकारी नहीं बन सकता था। इस पुराण में इसे यक्षेन्द्र की संज्ञा भी दी गई है।
वामन पुराण के अनुसार सरस्वती के किनारे स्थित इस यक्ष तीर्थ पर स्नान करने के उपरान्त यहाँ स्थित मन्दिर के दर्शनों के साथ ही कुरुक्षेत्र की परिक्रमा सफल मानी जाती थी।
वर्तमान मे यह तीर्थ चिट्टा मन्दिर के नाम से जाना जाता है यहांँ पहुँचने के लिए पिपली-पिहोवा मार्ग से एक उपमार्ग है। सरस्वती के तट पर स्थित इस तीर्थ के निकट से अनेक पुरातात्त्विक संस्तरण मिले हंै जिनमें दूसरी सहस्राब्दि ई॰ पूर्व के धूसर चित्रित मृदभाण्डों से लेकर आद्य ऐतिहासिक काल से मध्य काल तक की संस्कृतियों के अवशेष सम्मिलित हंै। इन पुरातात्त्विक प्रमाणों से भी इस तीर्थ की प्राचीनता स्वयं सिद्ध होती है।

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