नवदुर्गा नामक यह तीर्थ कैथल नगर से लगभग 3 कि.मी. की दूरी पर देवीगढ़ नामक ग्राम में स्थित है। वामन पुराण में एक दुर्गा तीर्थ का स्पष्ट वर्णन है जहाँ स्नान करने एवं पितरों की पूजा करने वाला व्यक्ति दुर्गति को प्राप्त नहीं होता। लोक प्रचलित किंवदन्तियों के अनुसार देवीगढ़ नामक यह स्थान प्रत्येक वर्ष बाढ़ के प्रकोप के कारण सामान्य ढंग से बसता नहीं था। किसी सज्जन महात्मा को देवी ने स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि यदि इस स्थान पर दुर्गा माता की प्रतिमा स्थापित की जाए तो यह स्थान भली भाँति बस जाएगा तथा सभी का कल्याण होगा। तब देवी भगवती के आदेश को मानकर यहंाँ नवदुर्गाओं के सुन्दर मन्दिर का निर्माण किया गया।
यहाँ चैत्र एवं आश्विन मास के नवरात्रों के शुभ अवसर पर प्रत्येक वर्ष शुक्ल पक्ष की अष्टमी को भारी मेले का आयोजन होता है।
यहाँ पर एक उत्तर मध्यकालीन मन्दिर है जिसके आंतरिक भाग में पत्रपुष्पों के अलंकरण के साथ रासलीला का चित्रण है। गर्भगृह में काली माता की मूर्ति है जिसके ऊपरी बायंे हाथ में बर्छी, निचले हाथ में नरमुण्ड, ऊपरी बायें हाथ में खप्पर व निचले हाथ में त्रिशूल है। काली के पावों में भैरव है। मन्दिर के पूर्व में लाखौरी ईंटों से निर्मित एक सरोवर है।