कुरुक्षेत्र का अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव हर साल न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को सम्मानित करता है, बल्कि विभिन्न कला रूपों का संगम भी प्रस्तुत करता है। इस महोत्सव में कालबेलिया नृत्य की धुनों का विशेष आकर्षण होता है, जो राजस्थान की लोक कला का एक अद्भुत उदाहरण है। कालबेलिया नृत्य की लयबद्ध थाप और सुरमयी धुनें महोत्सव के रंगों को और भी आकर्षक बना देती हैं। यह नृत्य और संगीत, दोनों ही दर्शकों को एक जादुई अनुभव प्रदान करते हैं, जो न सिर्फ भारतीय कला की विविधता को दर्शाता है, बल्कि दुनिया भर में भारतीय संस्कृति का प्रचार भी करता है।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में कालबेलिया जैसे लोक नृत्य और संगीत की प्रस्तुति से महोत्सव का माहौल और भी रंगीन और उत्साही बन जाता है। यह महोत्सव एक ऐसा मंच है, जहां भारतीय कला और संस्कृति को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत किया जाता है।