गौतम ऋषि/गवेन्द्र तीर्थ करनाल से लगभग 28 कि.मी. दूर गोंदर नामक ग्राम में स्थित है। इस तीर्थ का सम्बन्ध गौतम ऋषि से है। महर्षि गौतम की गणना सप्तर्षियों में होती है। इनका उल्लेख महाभारत और रामायण में हुआ है।
महर्षेः गौतमस्य आसीत् शरद्वान्नाम गौतमः।
पुत्रः किल महाराज जातः सहशरंैर्विभो।।
(महाभारत, आदि पर्व 130/2)
गौतम की पत्नी अहिल्या थी जो गौतम के श्राप से शिला बन गई थी। उत्तर रामायण के अनुसार श्रीराम के अनुज लक्षमण ने गौतम ऋषि के आश्रम के समीप एक भव्य राजमहल बनवाया था।
महाभारत के विभिन्न पर्वांे में महर्षि गौतम के प्रसंग उपलब्ध होते हैं। सभापर्व के अनुसार वह बह्मा की सभा में उपस्थित होकर उनकी अर्चना करते हैं। द्रोणपर्व में उल्लेख है कि उन्हांेने महाभारत युद्ध को समाप्त करने के लिए आचार्य द्रोण को परामर्श दिया था।
वामन पुराण में ब्रह्मोदुम्बर तीर्थ के प्रसंग में भी सप्तर्षियों के वर्णन में इनका उल्लेख आया है।
तीर्थ स्थित मंदिर की भित्तियों पर बकासुर वध, सूर्य का रथ, हाथियों को पाँव से दबाते हुए भीम, रासलीला, विष्णु एवं दुर्गा का चित्रण है।