गढ़रथेश्वर नामक यह तीर्थ कैथल से लगभग 27 कि.मी. दूर कौल ग्राम के समीप स्थित है। कौल नामक ग्राम में स्थित यह तीर्थ महाभारत के नायक दानवीर योद्धा कर्ण से सम्बन्धित है।
इस तीर्थ से सम्बन्धित जनश्रुतियों के अनुसार इसी स्थान पर महाभारत युद्ध के 17वंे दिन अर्जुन से युद्ध करते समय यशस्वी दानवीर कर्ण के रथ का पहिया जमीन में धँस गया था। इसी कारण महापराक्रमी अर्जुन के द्वारा कर्ण का वध कर दिया गया था। प्रचलित किम्वदन्तियों के अनुसार इसी स्थान विशेष पर दानवीर कर्ण ने अपने जीवन के अन्तिम क्षणों में ब्राह्मण वेशधारी श्रीकृष्ण को अपना स्वर्ण मण्डित दाँत दान में दिया था। इस तीर्थ पर आने वाले तीर्थ यात्री यहाँ दानवीर कर्ण के प्रति अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं।
तीर्थ पर एक उत्तर मध्यकालीन मन्दिर है जिसके पूर्व में एक सरोवर है। मन्दिर परिसर में ही मध्यकालीन मन्दिर के स्तम्भों के अवशेष मिले हैं जिससे इस तीर्थ पर एक विशाल मध्यकालीन मन्दिर होने प्रमाण मिलते है। मन्दिर के उत्तर व दक्षिण में लाखौरी ईंटों से निर्मित दो मेहराबी मीनारें हैं जो कि एक बाड़े से मिली प्रतीत होती हैं। बाड़े के निर्माण में भी लाखौरी ईंटों का प्रयोग हुआ है।