शिल्पकारों की मिट्टी की कला ने महोत्सव में आए पर्यटकों को दी एक नई दिशा। वे न केवल अपना स्वरोजगार स्थापित कर रहे हैं, बल्कि दूसरों को भी सिखा रहे हैं अपना पुश्तैनी काम।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में शिल्पकार ब्रह्म सरोवर के तट पर अपने मिट्टी के बर्तनों को बेचने के साथ-साथ इस कला में पारखी बना रहे हैं। उनके लिए मिट्टी के बर्तन बनाना एक पारंपरिक काम है, जिसे उन्होंने आधुनिकता के साथ जोड़ते हुए और आकर्षक बना दिया है।
स्वरोजगार का प्रेरक संदेश:
यह शिल्पकार नए-नए आकारों में मिट्टी के बर्तन बनाकर और पॉलिश करके इन्हें और आकर्षक बना रहे हैं। उन्होंने आज के बाजार के हिसाब से अपनी कला को प्रस्तुत किया है, साथ ही दूसरों को भी यह कला सिखा रहे हैं। अब कोई भी इनके पास आकर मिट्टी के बर्तन बनाने की कला सीख सकता है।
यह शिल्पकार विगत कई सालों से ब्रह्म सरोवर के तट पर अपनी प्रदर्शनी लगाकर इन बर्तनों को सेल भी कर रहे हैं। इसके साथ ही वे मिट्टी के मुखौटे, तुलसी गमले, रिंग बेल फ्लावर पॉट, वॉटर बॉल आदि भी बना रहे हैं।
आधुनिकता और परंपरा का अद्भुत मिश्रण:
पहले मिट्टी के बर्तन हाथ से बने चाक पर बनाए जाते थे, लेकिन अब वे बिजली के चाक पर काम करते हैं, जिससे उनका काम तेज और सटीक होता है। इस बदलाव से उन्होंने अपने काम को और भी आकर्षक और किफायती बना दिया है।