यह पारंपरिक नृत्य उड़ीसा के पश्चिमी हिस्से की अनूठी कला का प्रतीक है, जो अपनी तेज़ गति, ताल, और जीवंतता के लिए प्रसिद्ध है।
सांबलपुरी नृत्य विशेष रूप से ग्रामीण जीवन और कृषि परंपराओं को समर्पित है, और इसका हर एक कदम उड़ीसा की मिट्टी, संस्कृति और इतिहास से गहरे जुड़े हुए होते हैं। इस नृत्य में कलाकारों के झूमते हुए कदम, सजीले हाथ और ताल के साथ लहराते हुए शरीर की मुद्राएँ दर्शकों को एक अद्भुत अनुभव देती हैं। नृत्य के दौरान विभिन्न पारंपरिक वाद्य यंत्रों का उपयोग, जैसे कि मादल, टंकारा, और ढोल, इस कला रूप को और भी आकर्षक बनाते हैं।
सांबलपुरी नृत्य न केवल एक प्रदर्शन है, बल्कि यह उड़ीसा के उत्सवों, विशेष रूप से फसल के मौसम की खुशियों और कड़ी मेहनत की कहानियों को दर्शाता है। इस नृत्य के जरिए उड़ीसा के लोक जीवन की समृद्धि और सांस्कृतिक धरोहर को पूरी दुनिया के सामने पेश किया गया है।
“सांस्कृतिक विविधता का उत्सव, उड़ीसा की अनमोल धरोहर”
आइए, इस महोत्सव के दौरान उड़ीसा के इस पारंपरिक नृत्य का आनंद लें और उड़ीसा की सांस्कृतिक गहराई को महसूस करें।