अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2024 के दूसरे दिन हरियाणा की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर की झलक देखने को मिली। हरियाणा के लोकनृत्य और पारंपरिक कलाओं ने आयोजन को और भी रंगीन बना दिया। जहां युवा पीढ़ी ने उत्साह के साथ इन नृत्यों का आनंद लिया, वहीं बुज़ुर्गों ने भी इन नृत्यों को देख कर पुरानी यादें ताज़ा की और दिल खोल कर इन पर तालियाँ बजाई।
लोकनृत्य के मंच पर हरियाणवी डांडी, गिद्दा और झूमर जैसी पारंपरिक कलाएँ देखने को मिलीं, जिनमें न सिर्फ स्थानीय कलाकारों ने हिस्सा लिया, बल्कि देशभर से आए हुए प्रतिभागियों ने भी अपनी कला का प्रदर्शन किया। इन नृत्यों में लय और गति की जो अद्भुत समन्वय था, वह दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर गया।
युवाओं के साथ-साथ बुज़ुर्गों ने भी इस सांस्कृतिक आयोजन का भरपूर आनंद लिया और मंच पर दिखाए गए पारंपरिक नृत्य, गीत और संगीत के साथ झूमते रहे। यह आयोजन हरियाणा की संस्कृति और कला को संरक्षित करने का एक बेहतरीन प्रयास था, और इसने न केवल स्थानीय समुदाय को बल्कि देशभर के दर्शकों को एकजुट किया।
इस आयोजन में हरियाणा के लोकनृत्य ने सांस्कृतिक समृद्धि का परिचय दिया और गीता महोत्सव के माध्यम से धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का संदेश दिया। हर किसी ने इस महोत्सव के दौरान न केवल धार्मिक आस्था को महसूस किया, बल्कि हरियाणा की धरोहर और सांस्कृतिक विविधताओं को भी सराहा।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2024 के इस संस्करण ने यह सिद्ध कर दिया कि संस्कृति और धर्म की शक्ति से हम सभी को जोड़ सकते हैं, और यही इस महोत्सव का असली उद्देश्य भी था।