पुरानी हाथचक्की, जो भारतीय गांवों में अनगिनत पीढ़ियों तक अनाज पीसने का महत्वपूर्ण हिस्सा रही है, ने महोत्सव में अपनी अनूठी उपस्थिति से एक सशक्त संदेश दिया। यह साधारण, लेकिन प्रभावशाली यंत्र न केवल हमारी पारंपरिक जीवनशैली को याद दिलाता है, बल्कि उस मेहनत और समर्पण का प्रतीक भी है, जो भारतीय किसान अपने दैनिक कार्यों में लगाते थे।
हाथचक्की के आसपास की हर कहानी, उसकी आवाज़, और उसका कार्यभार भारतीय कृषि जीवन और उसके महत्व को प्रदर्शित करता है। यह यंत्र न केवल कृषि और भोजन की अनिवार्यता को दर्शाता है, बल्कि हमारे परंपरागत साधनों और उनके साथ जुड़ी सरलता और संतुलन को भी उजागर करता है।
इस महोत्सव में पुरानी हाथचक्की ने दर्शकों को भारतीय संस्कृति की जड़ों से जोड़ते हुए, हमारी समृद्ध ग्रामीण धरोहर और मेहनत के महत्व का अहसास कराया। यह एक शानदार उदाहरण था कि कैसे तकनीक और परंपरा का संगम हमारी संस्कृति को मजबूत बनाता है।