गत्ते और कागज से बनी टोकरी और कठपुतलियाँ भारतीय पारंपरिक हस्तशिल्प की एक अनूठी मिसाल हैं, जिनमें सरलता और सुंदरता का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। इन कलाओं में हर पंखे और मोड़ में कलाकार की कल्पना और हुनर की झलक दिखाई देती है। विशेष रूप से कागज और गत्ते से बनी कठपुतलियाँ, जो रंग-बिरंगे कपड़ों में सजी हुई थीं, महोत्सव में दर्शकों को एक अलग ही दुनिया में ले गईं।
टोकरी का शिल्प भारतीय ग्रामीण जीवन का अनिवार्य हिस्सा रहा है, और यह हस्तशिल्प ने महोत्सव में हमारी सांस्कृतिक धरोहर को और भी समृद्ध किया। वहीं कठपुतलियों की प्रस्तुति ने भारतीय लोक कला की जीवंतता को दर्शाया और बच्चों से लेकर बड़ों तक, हर उम्र के दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
महोत्सव में इन हस्तशिल्पों ने न केवल हमारे पारंपरिक कला रूपों को जीवित रखा, बल्कि भारतीय शिल्प की विविधता और गहराई को भी दुनिया भर में पहचाना।