अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव न केवल शांति और सद्भावना का संदेश दे रहा है, बल्कि पर्यटकों को भारतीय कला और संस्कृति का अद्भुत अनुभव भी प्रदान कर रहा है। कला और संस्कृति विभाग, हरियाणा के सहयोग से पुरुषोत्तम बाग में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में सरस्वती कला मंच जींद के कलाकारों ने शानदार प्रस्तुतियाँ दीं।
सांस्कृतिक कार्यक्रम में हरियाणवी लोक नृत्य और गीता पर आधारित भजनों के माध्यम से पर्यटकों का मन मोह लिया। जींद के कलाकारों ने श्रीमद्भगवद गीता के श्लोकों पर आधारित गीतों और हरियाणवी लोक नृत्य से श्रोताओं को जीवन का सार समझाया। विशेष रूप से, “मेरा दामन शीमां दे ओ ननदी के बीरा” गीत पर किया गया घूमर नृत्य और “मेरे सिर पे बंटा टोकणी” पर किया गया खोड़िया नृत्य दर्शकों के दिलों में बस गए।
कार्यक्रम के दौरान हरियाणवी भजनों और रागणियों ने दर्शकों को भक्ति के रस में डुबो दिया। असलम हरियाणवीं द्वारा गाया गया भजन “गंगा जी के प्यार में, सरस्वती के कण्ठार में” ने पर्यटकों को भावुक कर दिया और हरियाणवी संस्कृति की गहराई से परिचित कराया। इस भजन ने श्रोताओं में भक्ति की लहर पैदा कर दी, जिससे पूरा माहौल झूम उठा।
इस सांस्कृतिक प्रस्तुति ने गीता महोत्सव की भव्यता को और भी विशेष बना दिया और पर्यटकों को भारतीय संस्कृति की अलौकिक छवि से रूबरू कराया।