International Gita Mahotsav

ग्रामीण आजीविका मिशन शिल्पकला को सरंक्षित करने में निभा रहा अहम भूमिका

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में देशभर से आए शिल्पकारों और कारीगरों द्वारा बनाए गए हस्तनिर्मित उत्पाद पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। एक ऐसा ही उदाहरण मेहराज का है, जो हिमाचल प्रदेश के गांव ढोह से शुद्ध लेदर के जूते, पर्स, बैग आदि लेकर आए हैं। वे पिछले कई वर्षों से इस पुश्तैनी काम को अपनी जीविका का साधन बना चुके हैं और इस कार्य में उनकी बेटी और पत्नी का भी योगदान है।

ग्रामीण आजीविका मिशन हिमाचल प्रदेश के सहयोग से मेहराज को सरस एवं क्राफ्ट मेले में अपने उत्पाद बेचने का अवसर मिला, जहां उन्हें अच्छे ग्राहक मिल रहे हैं। उनके बनाए लेदर उत्पाद 1300 रुपए से लेकर 1600 रुपए तक के हैं, जो पर्यटकों द्वारा खूब खरीदे जा रहे हैं। मेहराज ने बताया कि उन्हें हरियाणा सरकार और कुरुक्षेत्र प्रशासन से भी अच्छे समर्थन और सुविधाएं मिल रही हैं, जिससे उनकी मेहनत और कला को पहचान मिल रही है।

ग्रामीण आजीविका मिशन ने शिल्पकारों के लिए एक मंच प्रदान कर उनकी कला को दुनिया भर में पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह मिशन न केवल शिल्पकला को संरक्षित कर रहा है, बल्कि युवाओं को स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से रोजगार के अवसर भी प्रदान कर रहा है।

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