अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2024 में राजस्थान की लोक कला और बीन-बाजा की धुन ने सबका दिल जीत लिया! धोरों की धरती राजस्थान के सपेरों ने अपनी पारंपरिक कला को जीवित रखने के लिए ब्रह्मसरोवर के तट पर बीन बजाकर समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने का काम किया।
सपेरों का बीन-बाजा अब सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि एक कला बन चुकी है, जिसे बचाने की आवश्यकता है। वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के कारण सांपों को पकड़ना अवैध हो गया, और इस वजह से ये पारंपरिक कलाकार अपने हुनर को जीवित रखने के लिए इस कला का अभ्यास कर रहे हैं। इस मंच पर बीन की धुन पर पर्यटक मदमस्त होकर नृत्य कर रहे हैं और इस अनोखी लोक कला को सराह रहे हैं।
राजस्थान की कालबेलिया लोक कला और कालबेलिया नृत्य ने भी महोत्सव में अपनी चमक दिखाई। इस कला को 2010 में यूनेस्को द्वारा अमृत सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किया गया था, और गुलाबो सपेरा को उनके उत्कृष्ट नृत्य प्रदर्शन के लिए 2016 में पद्मश्री से नवाजा गया था।
इस महोत्सव में बीन बाजा पार्टी की पारंपरिक धुनों ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया, और इस कला को बचाने के लिए समाज और सरकार दोनों का योगदान आवश्यक है। यदि हम इस अद्भुत कला को बढ़ावा दें, तो यह हमारे समाज की धरोहर के रूप में और भी समृद्ध हो सकती है।