अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के पावन पर्व पर ब्रह्मसरोवर के घाटों पर 15 राज्यों की लोक संस्कृति के अलग-अलग रंग देखने को मिलेंगे। इन 15 राज्यों के करीब 400 कलाकार अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पर 19 दिसंबर तक लोगों को लोक कला के साथ जोड़ने का प्रयास करेंगे। इस महोत्सव पर आने के लिए देश का प्रत्येक कलाकार आतुर रहता है। इस वर्ष कोरोना महामारी के बाद फिर से ब्रह्मसरोवर के तट पर लोक संस्कृति को देखने का अवसर मिला है। उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक कला केन्द्र (एनजैडसीसी) की तरफ से 5 राज्यों उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, पंजाब और राजस्थान के 125 कलाकार अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में पहुंच चुके है। यह कलाकार लगातार 19 दिसंबर 2021 तक अपनी लोक संस्कृति की छटा बिखेरने का काम करेंगे। इतना ही नहीं 11 और राज्यों उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, असम, गुजरात, सिक्कम, झारखंड, मणिपुर, बिहार, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान के और कलाकार 8 दिसंबर को कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर पहुंच जाएंगे। इन 11 राज्यों से 165 कलाकार पहुंचेंगे। इस प्रकार कुल 15 राज्यों से करीब 400 कलाकार अपने-अपने प्रदेश की लोक संस्कृति का प्रदर्शन करेेंगे। अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पर शुक्रवार को विभिन्न राज्यों की कला का संगम उमड़ा हुआ है और विभिन्न राज्यों की कला के संगम के बीच कलाकार अपने अपने राज्य की कला का बखूबी बखान कर रहे है। कलाकारों का कहना है ताकि करो ना काल में बेशक वह अपने घरों में कैद हो गए थे मगर उन्होंने अपनी कला को फिर भी जिंदा रखा कला के माध्यम से ही आज वह भी जिंदा है और अपनी कला को विदेशों तक पहुंचाया है विदेशों की धरती पर भी उनकी कला ने उनका नाम रोशन किया है। करो ना कॉल में बेशक कुछ साथी ना चाहते हुए भी अपनों को गले नहीं लगा पाए मगर अपनी कला को हमने आज विश्व के हर कोने में पहुंचाया है गीता महोत्सव में पहुंचे कलाकारों का कहना था कि अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव एक ऐसा जरिया है जहां पर जहां पर वह पहुंचकर अपनी कला का बखूबी मंचन करते हैं और यही एक प्लेटफार्म है जिस तरह से भगवान श्रीकृष्ण ने भी युद्ध के जरिए ही अपना संदेश विश्व भर में पहुंचाया है।