International Gita Mahotsav

INTERNATIONAL GITA MAHOTSAV

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शिल्पकला सिखाने के साथ-साथ रोजगार के अवसर प्रदान कर रहा है सफलता स्वयं सहायता समूह

जब कुछ कर गुजरने का हौंसला हो तो इंसान अपनी मेहनत से सफलता की नई ऊचांईयों को भी छू सकता है। ऐसा ही कुछ नजारा ब्रह्मïसरोवर के पावन तट पर अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के सरस और क्राफ्ट मेले में देखने को मिल रहा है। इस शिल्प और सरस मेले में विभिन्न स्वयं सहायता समुहों ने अपने-अपने स्टॉल स्थापित किए है। इन स्टॉलों पर इन स्वयं सहायतों समुहों द्वारा हस्त शिल्पकला से तैयार किए गए अपने-अपने उत्पादों को प्रदर्शित किया गया है।
इन स्वयं सहायता समुहों द्वारा जहां स्वयं को आर्थिक रुप से मजबूत करने का काम किया है, वहीं ये अन्य लोगों को भी रोजगार के अवसर उपलब्ध करवा रहे है। इन समूह की एक टीम में अधिकतर 10 से 12 सदस्य होते है, जो कि विभिन्न प्रकार की हस्त शिल्पकला के उत्पाद तैयार करके अपने स्वयं सहायता समुह के माध्यम से आय का उपार्जन कर रहे है। इतना ही नहीं यह सफलता स्वयं सहायता समूह पूरे हरियाणा में फैले हुए है, जो कि घर बैठी गृहणियों को रोजगार के अवसर भी प्रदान करवाते है। पलवल से आई कमलेश ने बताया कि वे स्वयं सफलता स्वयं सहायता समूह में प्रशिक्षण लेकर इस कार्य करके इस शिल्पकला को सीखा है तथा इस शिल्पकला का प्रदर्शन अन्य राज्यों में भी किया है जिनकी पर्यटक जमकर खरीददारी और प्रशंसा करते है।
उन्होंने बताया कि पुराने समय में गांवों में मिट्टïी के बर्तनो में ही खाना बनाया और खाया जाता था, जो कि पूरी तरह से स्वादिष्टï बनता था। इस विलुप्त हो चुकी संस्कृति को सफलता स्वयं सहायता समूह के माध्यम से अपनी अदभुत शिल्पकला से फिर से जीविंत करने का काम उनके ग्रुप द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि वे इस अंतर्राष्टï्रीय गीता महोत्सव में अपने साथ लाल और काली मिट्टïी से बने कप, गिलास, कटौरी, दहीं-हांडी, फलावर पोर्ट व सब्जी-हांडी लेकर आई है तथा जिनकी कीमत 10 रुपए से 500 रुपए तक रखी गई है।

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