अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में ब्रह्मïसरोवर के तट पर पर्यटकों के मनोरंजन के लिए तरह-तरह के लोक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है। महोत्सव में ब्रह्मïसरोवर के पावन तट पर कई ढोल नगाडे के साथ-साथ डेरू वाले संगीत ने पर्यटकों को नाचने पर मजबूर कर दिया है।
इसके साथ ही 19 नवंबर से 6 दिसंबर तक चलने वाले अंतर्राष्ट्रीय क्राफ्ट और सरस मेले में पर्यटकों के मनोरंजन के लिए और इस महोत्सव को भव्य स्वरूप देने के लिए कई तरह के लोक सांस्कृतिक कार्यक्रम करवाए जा रहे है। इस अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2022 में जहां एक और हरियाणा और पंजाब की लोक संस्कृति देखने को मिल रही है, वहीं दूसरी ओर जम्मू एंड कश्मीर, उत्तराखंड, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, वेस्ट बंगाल, महाराष्टï्रा, छतीसगढ़, असम सहित कई राज्यों की अदभुत लोक संस्कृति देखने को मिल रही है। अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में आने वाले पर्यटक इन राज्यों की अदभुत और संगीतमय लोक संस्कृति को देखकर मंत्रमुग्ध हो गए है। इन लोक कलाकारों ने अपना जौहर और अपने-अपने राज्यों की लोक संस्कृति को ब्रह्मïसरोवर के तट पर दिखाकर इस भव्य आयोजन को और भव्य बनाने का काम किया है। इन लोक कलाकारों ने इस महोत्सव में ऐसा रंग भर दिया है कि इनको देखने वाले पर्यटकों को नाचने पर मजबूर कर दिया है। इस अंतर्राष्टï्रीय गीता महोत्सव की गूंज यहां ही नहीं ब्लकि दूसरे राज्यों में भी सुनने को मिल रही है, दूर दराज से आने वाले पर्यटक यहां घूमने के बाद अपने राज्यों में जाने के बाद भी इस महोत्सव की जमकर प्रशंसा कर रहे है।