ब्रह्मसरोवर के दक्षिण छोर के तटों पर जमा इस साल लोक कलाकारों मेला, कच्ची घोड़ी के कलाकार कर रहे है पर्यटकों का मनोरंजन, स्टिक वॉकर बने बच्चों के आकर्षण का केंद्र भारत के विभिन्न राज्यों के वाद्य यंत्रों की स्वर लहरियों और उनके मधुर संगीत ने ब्रह्मसरोवर का समां बांध कर रख दिया। इन वाद्य यंत्रों की धुनों और लोक गीतों को सुनने के लिए ब्रह्मसरोवर के दक्षिण तट पर दर्शकों का तांता लग गया। इन प्रस्तुतियों को जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ वेस्ट बंगाल, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, असम के कलाकार अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में विशेष तौर लेकर पहुंचे है। इस महोत्सव में पहली बार ब्रह्मसरोवर के दक्षिण के घाटों पर भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियों का आयोजन किया जा रहा है।
उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक कला केंद्र पटियाला की तरफ से ब्रह्मसरोवर के घाटों पर अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2022 के प्रथम चरण में जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, वेस्ट बंगाल, महाराष्ट्र, पंजाब, असम, छतीसगढ़ राज्यों के कलाकार अपने-अपने प्रदेश की लोक संस्कृति को अपने नृत्यों और लोक गीतों के माध्यम से दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत कर रहे है। इन कलाकारों ने पुरुलिया छाउ, धनगरी गजा, गौर मारिया, बरदोई शिकला, कुड, ठाडिया छापोला आदि लोग नृत्यों को प्रस्तुत किया। इन लोक नृत्यों में बजने वाले वाद्य यंत्र लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहे थे और लोक गीत दर्शकों के मन पर अपनी अनोखी छाप छोड़ रहे थे। इन राज्यों की कला का संगम देखते ही बनता था और इस संगम को देखकर हर किसी के चेहरे पर उत्साह, जोश, साफ नजर आ रहा था।