अंतराष्ट्रीय गीता महोत्सव शिल्पकारों के लिए एक बड़ा मंच बन चुका है, इसलिए सभी शिल्पकारों को यह मंच देना एनजेडसीसी और प्रशासन के लिए चुनौती बन रहा है। जी हां देश के बेहतरीन शिल्पकारों को ही महोत्सव का मंच मिल पाता है। इसी कड़ी में ही श्रीनगर के मनसार हुसैन और उनके भाई हुसैन को अंतराष्ट्रीय गीता महोत्सव 2023 का मंच सालों बाद मिला है। इस शिल्पकार को वर्ष 2010 में पश्मीना शॉल पर कढ़ाई वर्क के लिए वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार की तरफ से राष्ट्रीय अवार्ड प्रमाण पत्र से नवाजा गया।
शिल्पकार मनसार हुसैन व उनके भाई हुसैन ने महोत्सव में स्टॉल नंबर 21 पर कश्मीर की शिल्पकला को पर्यटकों के लिए रखा है। इस शिल्पकला के लोग दिवाने है और हाथों-हाथ शिल्पकला को लेकर जाते है। शिल्पकार मनसार हुसैन व हुसैन ने बातचीत करते हुए कहा कि महोत्सव में 4 साल पहले आए थे और हर वर्ष इस महोत्सव में आने का मन बनाया लेकिन शिल्पकारों की लंबी लाईन होने के कारण उन्हें मौका नहीं मिल पाया। अब एनजेडसीसी की तरफ से महोत्सव का मंच उपलब्ध करवाया गया है। इस मंच पर आकर उन्हें ऐसा लगता है, जैसे अपने घर में वापसी हुई हो। यह महोत्सव शिल्पकला का बहुत बड़ा मंच बन चुका है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 में पश्मीना की शॉल पर वर्क करने के लिए वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार की तरफ से राष्टï्रीय अवार्ड प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उनके लिए बहुत बड़ा सम्मान था। उनके साथ 10-15 लोग जुड़े हुए है, सभी मिलकर कढ़ाई वर्क की शिल्पकला को आगे बढ़ाने का काम कर रहे है। इस महोत्सव में पश्मीना के स्टॉल लेकर आए है। इस स्टॉल की कीमत 8 हजार रुपए तक की है, जबकि अच्छी गुणवता के पश्मीना शॉल की कीमत 25 हजार रुपए तय की गई है।